स्नेहा मिश्रा
सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी 2023, शुक्रवार को विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता प्रदान करने की मांग करने वाली याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित कर लिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने अब इन सभी याचिकाओं को वस्तुत: अपने समक्ष उपस्थित होने की अनुमति दे दी है।
उन्होंने याचिकाओं को स्थानांतरित करने के अनुरोध में भी अनुमति दी। कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च को करेगा। उनका कहना है कि, “जैसा कि दिल्ली, केरल और गुजरात के उच्च न्यायालय के समक्ष एक ही प्रश्न से संबंधित रिट याचिकाएं लंबित हैं। हमारा विचार है कि उन्हें इस अदालत द्वारा स्थानांतरित और तय किया जाना चाहिए। हम यह निर्देश देते हैं कि सभी रिट याचिकाएं इस अदालत में स्थानांतरित मानी जाएंगी।”
उन्होंने अधिवक्ता अरूंधती काटजू को याचिकाकर्ताओं के लिए नोडल वकील के तौर पर और वकील कानू अग्रवाल को सरकारी पक्ष के नोडल वकील के तौर पर प्रतिनियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह के मामले में दलीलों का एक समूह जब्त किया है। जिसमें एक 46 वर्षीय भारतीय नागरिक भी शामिल है।
उनका कहना है कि उसने सितंबर 2010 में एक अमेरिकी नागरिक से शादी की और जून 2014 में पेंसिलवेनिया में अपनी शादी को कानूनी करार करने के लिए पंजीकरण कराया। उन्होंने और उनके साथी (जो कि पुणे के रहने वाले हैं) ने बताया कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत उनकी शादी को पंजीकृत करवाने के उनके प्रयास विफल हो गए क्योंकि रजिस्ट्रार ने उनके अनुरोध को अस्वीकार करते हुए रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया।
जिसके बाद उन्होंने वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने विदेशी विवाह अधिनियम 1969 के तहत विवाह को पंजीकृत करने की मांग की। लेकिन वहां भी इस अनुरोध को ठुकरा दिया गया।
अन्य याचिकाओं में एक सुप्रियो चक्रवर्ती, अभय डांग, पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज आनंद द्वारा विशेष विवाह अधिनियम 1952 के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान करने की मांग की गई है।