किरण शर्मा
वृंदावन जाऊंगी सखी रे वृंदावन जाउंगी, बांके बिहारी जी का बहुत ही लोकप्रिय भजन है। बिहारी जी की भक्ति में लीन होने वाले लोग इस भजन को सुनकर आनंदित हो उठते हैं। यह भजन 2017 में यानी कि 5 साल पहले चित्र- विचित्र महाराज के द्वारा गाया गया था। यह दोनों ही बिहारी जी के भक्त हैं और बिहारी जी के भजनों को भक्ति में लीन होकर गाते हैं।
कौन है चित्र- विचित्र महाराज-
बाबा चित्र और विचित्र गाजियाबाद के मोदीनगर के रहने वाले है। दोनों के ही परिवार धार्मिक होने के कारण इनका माहौल बचपन से ही भक्ति में डूबा हुआ रहा है। यह दोनों ही बिहारी जी के भजन गाते हैं, इनके गुरु सदगुरुदेव रसिका पागल जी महाराज है जोकि बहुत ही लोकप्रिय भजन गायक हैं जिन्होंने इन्हें यह नाम दिए थे।
भूल से भी रात के समय पीपल के पेड़ के पास ना जाए
इनका नाम चित्र- विचित्र कैसे पड़ा-
एक इंटरव्यू के दौरान महाराज ने बताया था, कि उनके यह नाम उनके गुरुदेव सरकार ने उन्हें दीक्षा देने के बाद दिए थे। गुरुदेव ने अपने दोनों हाथ उनकी तरफ उठाकर कहा था, कि आज से तुम दोनों का नाम चित्र और विचित्र है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया था कि उनमें से किसका नाम चित्र है और किसका नाम विचित्र। यह उन्होंने प्राथमिकता के आधार पर खुद ही तय किया, कि किसको चित्र कहा जाएगा और किसको विचित्र। इसलिए तेज आवाज में भजन गाने वाले महाराज का नाम बाबा चित्र बिहारी दास और भजन माला करने वाले महाराज का नाम विचित्र बिहारी दास रखा गया।
इनके भक्ति के सफर की शुरुआत कैसे हुई?
सन 1998 में गाजियाबाद के मोदीनगर में रसिका पागल जी महाराज की भजन संध्या में यह दोनों ही मौजूद थे। इन्हें शुरुआत से ही बिहारी जी के भजनों में इतना आनंद आता था, कि इन्होंने वहां से वृंदावन जाने की ठान ली और फिर इनका बिहारी जी के चरणों में इतना मन लगा कि यह वहां से वापस नहीं आए। तबसे ही यह श्री बिहारी जी के चरणों के दास बने हुए हैं और उनके भजन देशभर में गा रहे हैं। इनका यूट्यूब पर वृज भाव करके एक चैनल भी है।
यहां क्लिक करें-