साल 2015 में यमन ने तेल से भरे एक सुपर टैंकर वेसल को red sea यानी लाल सागर में छोड़ दिया था। जिसके बाद अब पूरे 8 साल बाद संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने संभावना जताते हुए कहा है कि, ये वेसल किसी भी समय या तो फट जाएगा या फिर डूब जाएगा। जिससे यमन समेत 4 देशों को काफी नुकसान होने की आशंका है।
रेड-सी भी बदलेगा ब्लैक-सी में :
यमन में UN के चीफ ‘डेविड ग्रेसली’ ने कहा कि, “हम नहीं चाहते हैं कि रेड-सी भी ब्लैक-सी की तरह बदल जाए, लेकिन अब ऐसा ही होता प्रतीत हो रहा है।” साफेर को 1976 में एक जापानी कंपनी हिटाची जेसोन ने बनाया था। ये वेसल 362 मीटर लंबा और 4 लाख 6 हजार 640 टन वजनी है। साल 1988 में यमन की एक कंपनी ने इसे स्टोरेज शिप वेसल में बदलकर, इसमें तेल को स्टोर करना शुरू कर दिया।
साल 2015 में यमन में हूती विद्रोहियों और सऊदी के समर्थन वाली सरकार में घोर युद्ध छिड़ गया। जिसके बाद यमन के समुद्र तट के इलाके को हूती विद्रोहियों ने अपने कब्जे में ले लिया। इलाके को कब्जे में लेते ही विद्रोहियों ने सबसे पहले सारी लोकल और इंटरनेशनल संस्थाओं के इलाके में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी।
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तेल के लीक होने से होंगे ये नुकसान:
सही रख-रखाव के अभाव में खराब हो रहे साफेर को ठीक करने के लिए हूती विद्रोहियों ने UN को भी इजाजत नहीं दी। अक्टूबर 2019 में हॉम अखदार नाम की यमन की एक संस्था ने इस स्टोरेज वेसल को लेकर अपनी एक रिपोर्ट छापी। इसमें बताया गया कि, इस वेसल से तेल लीक हो सकता है, जिससे समुद्र में रहने वाले जीवों को खतरा है। इस रिपोर्ट के तुरंत बाद UN ने दोनों ही पार्टियों को इस मुद्दे पर बातचीत के लिए बुलाया।
साल 2020 में बीबीसी ने यह रिपोर्ट किया था कि, स्टोरेज वेसल के इंजन रूम में समुद्र का पानी जा रहा है, जिससे शिप में धमाका हो सकता है। जिसके बाद UN ने भी इसके फटने की चेतावनी दी। तब से इसे लाल सागर का टाइम बम भी कहा जाता है।
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UN ने अब आखिरी चेतावनी देते हुए कहा है कि, अगर तुरंत इस विषय पर कोई एक्शन नहीं लिया गया तो इससे होने वाले नुकसान की भरपाई करना नामुमकिन होगा। तेल लीक होने के बाद 2 हफ्तों में सऊदी, जिबूती और इरिट्रिया तक भी पहुंच जाएगा। समुद्र में फैले तेल की वजह से मछलियों की 1000 दुर्लभ प्रजातियां और 365 तरह के कोरल रीफ समाप्त हो जाएंगे।
60 लाख जिंदगियां खतरे में:
इससे समुद्र में फैला प्रदूषण लगभग 30 साल तक रहेगा। वहीं जंग से प्रभावित हुए यमन के इलाकों में UN जो मदद भेज रहा है, वो भी रुक जाएगी, जिससे तकरीबन 60 लाख जिंदगियों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।