गृह मंत्री अमित शाह ने 21 जून को कहा कि भारत इंदस वाटर ट्रीटी को स्थायी रूप से बहाल नहीं करेगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान को मिल रहे पानी को राजस्थान के नए नहर मार्ग से भारत के अंदर इस्तेमाल किया जाएगा
पाकिस्तान की खाद्य-जल सुरक्षा पर असर
पाकिस्तानी सिंचाई प्रणाली लगभग 80% पानी इंदस नदी प्रणाली से लेती है। इरसा की रिपोर्ट के अनुसार इस निलंबन से पाकिस्तान को खरीफ सीज़न में 21% तक पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।पाकिस्तान ने इसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ तक बताया, और कूटनीतिक व कानूनी प्रतिक्रिया की कोशिशें शुरू कर दी हैं ।
अंतरराष्ट्रीय कानून
1960 की इंदस वाटर ट्रीटी में एकतरफा निलंबन या समाप्ति का प्रावधान नहीं है । पाकिस्तान इस पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ICJ या अन्य मंचों पर चुनौती देने की तैयारी कर रहा है ।विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ट्रिटी तब तक पड़ेगी रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता। इस मुद्दे से भारत–पाक अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और दक्षिण एशियाई राजनीतिक दृष्टिकोण दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
घरेलू राजनीति में इंदस ट्रीटी बना राष्ट्रीय गर्व का मुद्दा
मोदी सरकार द्वारा इंदस वाटर ट्रीटी को लेकर अपनाया गया कड़ा रुख अब केवल विदेश नीति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति का प्रमुख चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। बीजेपी नेता और समर्थक इसे “पानी पर भारत का हक़” बताते हुए जनता के बीच राष्ट्रवादी भावनाएं मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी “#पानी_पाकिस्तान_को_नहीं” जैसे ट्रेंड्स चल रहे हैं, जो दर्शाते हैं कि यह निर्णय अब जनता की भावनाओं से भी जुड़ चुका है। विपक्ष इस फैसले की कानूनी वैधता पर सवाल जरूर उठा रहा है, लेकिन सरकार इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा” के दायरे में रखकर सही ठहरा रही है।
यह भी पढ़ें : भारत-पाकिस्तान सीजफायर में सऊदी अरब ने चुपचाप निभाई ये खास भूमिका?