हमारे यहां ये शिकायत होती है, कि यहां जेल की क्षमता से भी ज्यादा कैदी हैं वही दुनिया में एक ऐसा देश भी है, जहां धड़ाधड़ जेलों पर ताला लग रहा है, नीदरलैंड में क्राइम रेट इतना कम हो चुका है कि वहां की जेलों की जरूरत कम होती जा रही है। जानकारी के मुताबिक, साल 2021 में नीदरलैंड की प्रति एक लाख की आबादी लगभग 53 क्राइम हुए, 2020 में यह आंकड़ा 58 का था, पिछले दो दशकों में यहां पर क्राइम ग्राफ काफी तेजी से कम हो रहा है। यहा क्राइम रेट साल 2016 में सबसे कम था, जब हर एक लाख की आबादी पर केवल 51 लोगों ने अपराध किया। ये अपराध बलात्कार. हत्या जैसे गंभीर अपराध नहीं ,है बल्कि छोटे-मोटे क्राइम होते हैं।
ऑनलाइन डेटाबेस संस्था वर्ल्ड प्रिज़नर-
दूसरी ओर जेल की व्यवस्था पर काम करने वाली ऑनलाइन डेटाबेस संस्था वर्ल्ड प्रिज़नर के मुताबिक, वेनेजुएला में दुनिया में सबसे ज्यादा अपराध होते हैं, यहां हर एक लाख की आबादी पर 92 हत्याएं होती हैं। ये सिर्फ हत्या है बाकी अपराध जैसे डकैती, चोरी, मारपीट, नशा जैसे अपराध और भी ज्यादा हैं।
जेलों के खाली होने के पीछे का कारण-
नीदरलैंड की जेलों के खाली होने के पीछे सिर्फ यही वजह नहीं है, कि वहां अपराध कम है, बल्कि और भी कई कारण है। यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के इंस्टीट्यूट फॉर क्रिमिनल पॉलिसी रिसर्च ने इन पर रिसर्च की, जिसके अनुसार, यहां अदालतें कैदियों को जेल की सजा कम ही सुनाती है। ये सजा तभी मिलती है, जब अपराध गंभीर हो और क्रिमिनल सोसाइटी में ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता हो।
कस्टोडियल सेंटेंस-
नीदरलैंड में कस्टोडियल सेंटेंस के 55 प्रतीशत मामलों में 1 महीने से भी कम के लिए जेल की सजा होती है, जबकि तीन चौथाई मामले में 3 महीने की कैद मिलती है जिसका मतलब है कि फ्री ट्रायल कस्टडी के दौरान ही बहुत से अपराधी सजा पूरी भी कर लेते हैं और जेल जाने के बजाय घर लौट जाते हैं। ज्यादातर कैदियों पर जुर्माना लगाया जाता है या फिर कम्युनिटी सर्विस से जोड़ दिया जाता है जैसे सफाई, पौधे लगाना, अस्पतालों में एडमिनिस्ट्रेशन सर्विस देना आदि।
नीदरलैंड सरकार नए प्रयोग करती रही-
कैदी अपने परिवार से जुड़े रहें इसके लिए भी नीदरलैंड सरकार नए प्रयोग करती रही है। वहां कैदियों को रात में तय समय के लिए इंटरनेट भी दिया जाता है, ताकि वह अपने बच्चों को गुड नाइट स्टोरी सुना सके या अपने परिवार से बातचीत कर सकें। जेल के वॉर्डन कैदियों को नंबर की बजाय उनके नाम से बुलाते हैं ये सारी चीजें एक तरह की थेरेपी होती है ताकि जेल से निकलने के बाद कैदी तुरंत सोसाइटी से जुड़ सकें।
डच प्रशासन-
डच प्रशासन का मानना है कि लंबे समय तक जेल में रहना कैदी कि मानसिक सेहत के लिए ठीक नहीं है और वो निकलने के बाद और भी ज्यादा गड़बड़ी कर सकता है। इस सोच की वजह से वहां की लीडर यूनिवर्सिटी ने एक शोध किया, जिसमें क्रिमिनोलॉजी डिपार्टमेंट ने माना कि जो अपराधी इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग के साथ कम्युनिटी सर्विस की सजा काटते हैं, उनके अपराध करने का डर ऐसे क्रिमिनल्स की तुलना में कम होता है जिन्हें 6 महीने से लेकर साल भर की जेल हुई हो।
गौर फरमाएं- America में सुप्रीम कोर्ट ने Abortion pills से हटाए प्रतिबंध, बाइडन सरकार ने किया समर्थन
इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग सिस्टम-
यहां पर कैदियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग सिस्टम है, उनके पैरों में एक ऐसा डिवाइस पहनाया जाता है। जिससे लोकेशन को ट्रेस किया जा सके, इसके बाद उन्हें मुख्यधारा में छोड़ दिया जाता है। यह डिवाइस एक रेडियो फ्रिकवेंसी सिगनल भेजती रहती है, क्रिमिनल सीमा से बाहर जाए तो पुलिस को सूचना मिल जाती है।
खाली पड़ी जेलें बंद-
जेलों में कम होते कैदियों को देखकर 2016 में डच सरकार ने तय किया, कि वह खाली पड़ी जेलों को बंद करते हुए, उसे ठेके पर दे देगी या किसी को बेच देगी। कुछ में दफ्तर चलने लगे कुछ जेलों को शरणार्थी कैंप में बदल दिया गया जहां सीरिया या दूसरे देशों से आ रहे लोगों को रखा जाने लगा। इससे वहां काम कर रहे जेल कर्मचारी बेगार होने लगे इसी के हल के तौर पर नीदरलैंड ने अनोखा तरीका खोजा वह नार्वे समेत उन सभी पड़ोसी देशों के से कैदी उधार लेने लगा जहां की जेल भरी हुई हैं।
यहां भी गौर फरमाएं- 2023 को लेकर बाबा वेंगा ने की ऐसी भविष्यवाणी कि सोचकर रूह कांप जाएगी, बड़ी आबादी को खतरा