भारत के सभी खांसी सिरप (Cough Syrup) निर्यातकों (Exporters) को अपने उत्पादों को विदेश भेजने से पहले भारत सरकार (Indian Government) की प्रेस्क्राइब्ड प्रयोगशालाओं में जांच करवानी होगी। एक जून से ये नियम लागू होगा। जैसे ही लैब में सिरप के नमूने पास होंगे वैसे ही इन्हें विदेशों में निर्यात करने की अनुमति दे दी जाएगी। विदेशानुकूल व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने ये आदेश जारी किया है।
अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टुडे के मुताबिक बीते दिनों भारत के दवा नियत्रंण का शिर्ष प्राधिकरण “केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन” (CDSCO) ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया था कि उन्होंने सरकार को दवा निर्यात करने से पहले सरकारी प्रयोगशालाओं में उनकी जांच कराने की सुझाव दिया गया था।
इस सुझाव के अनुसार दवा निर्यातकों को प्रमाणित प्रयोगशालाओं द्वारा जारी दवा बैचों की विश्लेषण का प्रमाणपत्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना होगा, इसके बाद ही खांसी सिरप की निर्यात के लिए DGFT विभाग अनुमति देगा।
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इन दवाओं के नमूने का टेस्ट भारतीय फार्माकोपिया कमीशन, सीडीएससीओ के प्रयोगशाला जैसे, आरडीटीएल (चंडीगढ़), सीडीएल (कोलकाता), सीडीटीआई (चेन्नई), सीडीटीआई (हैदराबाद), सीडीटीएल (मुंबई), आरडीटीआई (गुवाहाटी) और राज्य सरकारों के एनएबीएल प्रमाणित दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं में कराया जाना प्रस्तावित किया गया है।
सरकार ने ऐसा कठोर कदम क्यों उठाया?
पिछले आठ महीनों में विदेशों में, भारत में स्थित कंपनियों द्वारा निर्मित दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। बीते फरवरी को ही तमिलनाडु स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अपनी आई ड्रॉप का पूरा लॉट वापस बुला लिया है, अमेरिका में इस आई ड्रॉप को आंखों में अंधेपन का जिम्मेदार बताया जा रहा था।
इससे पहले, भारत में बने हुए खांसी सिरपों को पिछले साल गाम्बिया और उजबेकिस्तान में बच्चों की मृत्यू से जोड़ा गया था।
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