राजधानी दिल्ली में देश के नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के ऐतिहासिक सेंगोल को संसद भवन के लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के पास स्थापित किया। पीएम मोदी और लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने सुबह के समय पूजा में भाग लिया और संसद भवन के निर्माण में शामिल मजदूरों को सम्मानित भी किया।
आज का समारोह 7 बजे प्रधानमंत्री मोदी के नए संसद भवन पहुंचने के बाद शुरू हुआ। तमिलनाडु के अधीनमों के पुजारियों ने सेंगोल पर फूल अर्पित किया और उसे प्रधानमंत्री को सौंपा, जिसके बाद पीएम ने उसे संसद भवन में स्थापित किया। पीएम ने हवन कराकर नए संसद भवन के उद्घाटन का आयोजन किया।
आज का दिन हम सभी देशवासियों के लिए अविस्मरणीय है। संसद का नया भवन हम सभी को गर्व और उम्मीदों से भर देने वाला है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह दिव्य और भव्य इमारत जन-जन के सशक्तिकरण के साथ ही, राष्ट्र की समृद्धि और सामर्थ्य को नई गति और शक्ति प्रदान करेगी। pic.twitter.com/aOReN4JiF4
— Narendra Modi (@narendramodi) May 28, 2023
नेहरु को सत्ता स्थानांतरण के समय प्रतीक के तौर पर मिला था सेंगोल-
बीजेपी दावा कर रही है कि सन् 1947 में ब्रिटिश सत्ता स्थानांतरण के समय अंग्रेजों ने ये सेंगोल भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को प्रतीक के तौर पर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद में सेंगोल की स्थापना के बाद उसे झुककर प्रणाम किया।
संसद भवन के उद्घाटन की शुरुआत में पीएम मोदी ने सेंगोल के सामर्थ्य को मान्यता देते हुए उसे झुककर प्रणाम किया। इसके साथ ही पीएम ने तमिलनाडु से आए विभिन्न संतों से आशीर्वाद लिया। इसकी से्थापना के बाद ही संसद भवन की नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर पीएम के साथ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, एस जयशंकर और जितेंद्र सिंह सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे। वहीं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे।
Feel very blessed that I had the opportunity to welcome the respected Adheenams to my residence. pic.twitter.com/ozDvbDKQ8I
— Narendra Modi (@narendramodi) May 27, 2023
नए संसद भवन का उद्घाटन, हालांकि, विवाद के रूप में भी चर्चा में है, क्योंकि 20 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह को बहिष्कार करने का ऐलान किया है। विपक्षी दलों का दावा है कि देश के राष्ट्रपति को संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए था, लेकिन यह उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा किया जा रहा है, जिसे विपक्षी दलें कटुता के साथ खारिज कर रही हैं।
सेंगोल का इतिहास क्या है?
इस प्रतीक का निर्माण चोला-काल के दौरान हुआ है, जिसे चांदी से बनाया गया है और इसके शीर्ष में सोने की परत है। यह प्रतीक 1947 में ब्रिटेन से भारत की सत्ता के स्थानांतरण को दर्शाने का एक प्रतीक है।
इस प्रतीक की लंबाई पांच फीट है और उसके शीर्ष में भगवान शिव के नंदी का प्रतीक स्थापित है, जो न्याय की प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठित करता है।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मीडिया को बताया है कि एक आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक, सेंगोल शब्द तमिल शब्द ‘सेम्मै’ से आया है, जिसका अर्थ होता है ‘न्याय’। सेंगोल एक “महत्वपूर्ण ऐतिहासिक” प्रतीक है जो ब्रिटिश सत्ता से भारतीयों के पास सत्ता के स्थानांतरण को प्रतिष्ठित करता है।
उनके मुताबिक भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को 14 अगस्त 1947 को रात 10:45 पर तमिलनाडु के अधीनम से इसे लिया था, जो उस समय ब्रिटिश से सत्ता के स्थानांतरण की निशानी मानी गई थी।
भाजपा के अनुसार, सत्ता स्थानांतरण के अवसर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस विषय में मदद के लिए तमिलनाडु के पूर्वी स्वतंत्रता सेनानी सी राजगोपालाचारी से इतिहासिक प्रतीकों की मदद मांगी थी। इसके बाद राजाजी ने देश के भूतकाल को देखा और चोला साम्राज्य की परंपराओं से उत्तर ढूंढा, जिसे इस प्रतीक के रूप में उपयोग किया गया।
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— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) May 28, 2023
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