सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) परियोजना के कार्यान्वयन में देरी पर दिल्ली सरकार की आलोचना की। दिल्ली सरकार ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ को सूचित किया, कि वह परियोजना के लिए धन आवंटित (Allotted) करने में असमर्थ है।
न्यायालय ने किया सवाल-
जानकारी के मुताबिक, न्यायालय ने सवाल किया कि उस परियोजना को पूरा करने के लिए सरकार के पास धन क्यों नहीं है, जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी। जबकि उसने विज्ञापनों के लिए तो धन इकट्ठा किया है, कोर्ट ने पूछा अगर आपके पास विज्ञापन के लिए पैसा है तो आपके लिए उस परियोजना को पूरा करने के लिए पैसा क्यों नहीं है, जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी।
विज्ञापनों पर खर्च का विस्तृत ब्यौरा-
इसके साथ ही न्यायालय ने दिल्ली सरकार को पिछले 3 वित्तीय वर्षों में आरआरटीएस (RRTS) प्रोजेक्ट के विज्ञापनों पर अपने खर्च का विस्तृत ब्यौरा पेश करने के निर्देश दिए हैं। आरआरटीएस यानी दिल्ली मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम एक सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर है। जिसका निर्माण वर्तमान में किया जा रहा है यह कॉरिडोर दिल्ली गाजियाबाद और मेरठ शहरों को जोड़ने वाला है।
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30,274 करोड़ की अनुमानित लागत-
इस रैपिड रेल को बनाने का काम जून 2019 में ही शुरू किया गया था, कुछ समय पहले एक अधिकारी ने कहा था कि मेरठ में मेट्रो सेवाओं के साथ पूरे 82.15 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर का चालू होना जून 2025 तक तय किया गया है। यह कुल 30,274 करोड़ की अनुमानित लागत से तैयार किया जाएगा। आरआरटीएस को एशिया विकास बैंक, एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक और न्यू डेवलपमेंट बैंक की ओर से फंडिंग की गई है।
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