Crude Oil: भारत और चीन को यूक्रेन और रूस की जंग के बीच रूस ने कच्चे तेल को कम दामों में बेचा है, भारत ने पिछले कुछ महीनों के दौरान रूस से रिकॉर्ड कच्चा तेल सस्ते दामों पर खरीदा। ऐसा करके भारत ने इराक को भी पीछे छोड़ दिया, जो कभी भारत को तेल बेचने के मामले में पहले नंबर पर था। लेकिन रूसी कच्चे तेल पर छूट में गिरावट और पेमेंट संबंधी दिक्कतें आ रही हैं, इसी बीच भारत सरकार रिफाइनरी कच्चे तेल की खरीद के लिए मध्यपूर्व के पुराने तेल निर्यातक देशों की ओर रुख कर रहे हैं।
रूसी कच्चे तेल पर छूट में भारी गिरावट-
इराक से तेल आपूर्ति को बढ़ाने को लेकर सरकारी रिफाइनर बातचीत कर रहे हैं, जानकारी के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि रूस के कच्चे तेल यूराल की कीमत बढ़ती जा रही है और यह पश्चिमी देशों की तरफ से दूसरी तेल पर लगाए गए प्राइस कैंप 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बिक रहा है। हाल ही में रूसी कच्चे तेल पर छूट में भारी गिरावट देखी गई, अगर रूस सरकारी रिफाइनरी को प्राइस कैप से ज्यादा दामों पर तेल बेचेगा, तो वह रूस से तेल खरीदना बंद कर देंगे।
भुगतान शर्तों में बदलाव-
अधिकारियों का कहना है कि भारत ने इराक से कहा है कि वह तेल की भुगतान के लिए कुछ शर्तों में बदलाव करने पर विचार करें, जैसे भारत की सरकारी रिफाइनरी भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन इराक से भारी मात्रा में तेल खरीदेंगे। जिसके बदले में वह तेल की मौजूदा क्रेडिट अवधि को 60 दिन से बढ़ाकर 90 दिन कर दे। इराक जैसे भारत के पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं से तेल खरीदने का जिक्र करते हुए अधिकारियों ने कहा है कि यह सब से साफ सौदा है, इराक हमारा अच्छा सहयोगी और व्यापारिक भागीदार रहा है।
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तेल पर भारत को भारी मात्रा में छूट-
इराक रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत का कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था और रूस से भारत बहुत कम मात्रा में तेल खरीदा था। लेकिन यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पिछले 15 महीनों में रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है। रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों को देखते हुए अपने तेल पर भारत को भारी मात्रा में छूट दी। जिसकी वजह से भारत ने उनसे खूब तेल खरीद लिया, वर्तमान में रूस के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से ज्यादा है। जानकारी के मुताबिक पहले 13 डॉलर प्रति बैरल की छूट भारत को रूसी तेल पर मिल रही थी। लेकिन अब यह कम होकर सिर्फ 4 डॉलर प्रति बैरल रह गई है, यह छूट भारत को डिलीवरी प्राइस के आधार पर मिलती है।
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