India China Border: केंद्रीय मंत्री एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश में भारत चीन सीमा के पास मजबूत और टिकाऊ सड़कें बनाने के लिए स्टील उत्पादन के द्वारा उत्पन्न स्पात के कचरे का इस्तेमाल किया जा रहा है। सड़क निर्माण के लिए स्टील स्लैग का इस्तेमाल करने से तकनीक वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई थी, जिसका मकसद स्टील संयंत्रों द्वारा उत्पन्न स्पात के कचरे की समस्या को खत्म करना है।
पक्की सड़क की तुलना में सस्ती-
यहां CRRI, CSIR का दौरा करने वाले सिंह का कहना है कि स्टील स्लाइड से बनने वाली सड़कें ना केवल पारंपरिक रूप से पक्की सड़क की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत सस्ती है, बल्कि ज्यादा टिकाऊ होने के साथ-साथ मौसम की अनिश्चितता को भी आसानी से झेल सकेगी। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि गुजरात का सूरत पिछले साल जून में संसाधन स्टील स्लैग रोड बनाने वाला देश का पहला शहर बना।
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टिकाऊ और बेहद मजबूत सड़क-
इस्पात संयंत्रों में स्टील बनाने की प्रक्रिया के दौरान अयस्क से पिघली अशुद्धियों से स्लैग बनता है। उनका कहना है कि सीमा सड़क संगठन ने अरुणाचल प्रदेश में भारत चीन सीमा क्षेत्र के पास टिकाऊ और बेहद मजबूत सड़क निर्माण के लिए स्टील स्ट्राइक का इस्तेमाल किया है। उन्होंने आगे बताया कि स्टील क्लर्क की आपूर्ति टाटा स्टील द्वारा निशुल्क की गई है और जमशेदपुर से अरुणाचल प्रदेश भारतीय रेलवे द्वारा तक पहुंचाई गई है।
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