Rice Export: भारत में लोगों का खाना चावल के बिना कभी पूरा नहीं हो सकता। भारतीय कहीं भी हो चावल खाए बिना नहीं रह सकते। लेकिन पिछले कुछ महीनों से चावल की कीमत में तेजी की वजह सरकार की चिंता बढ़ रही है। बढ़ती हुई कीमत पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात पर सख्त फैसला लिया है। सरकार ने बासमती चावल को छोड़कर सभी कच्चे चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है। बासमती चावल और उसना चावल को छोड़कर सभी चावलों के निर्यात पर पाबंदी है। चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 फ़ीसदी निर्यात पर लगे बैन से कई देशों की चिंताएं बढ़ने वाली हैं। आखिर यह फैसला क्यों लिया गया है आइए जानते हैं-
खुदरा कीमतों में 11.5 फ़ीसदी का इजाफा-
पिछले 12 महीनों में देश में चावल की खुदरा कीमतों में 11.5 फ़ीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले 3 महीने से चावल की कीमत लगातार बढ़ती ही जा रही है, ऐसे में कीमतों पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए केंद्र सरकार ने चावलों के निर्यात पर बड़ा फैसला लेते हुए बासमती चावल को छोड़कर सभी चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया है। घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने के लिए और खुदरा बाजार में कीमतों को काबू करने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। सरकार ने देश से निर्यात होने वाले कुछ चावलों में गैर बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत तक बढ़ा दी है। वहीं दुनिया के कुल चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है।
दुनिया भर में महंगाई की चिंता-
भारत सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से दुनिया भर में महंगाई की चिंता बढ़ रही है। दरअसल बारिश की अनियमितता के कारण धान की फसल को काफी नुकसान हुआ। जिसकी वजह से धान की पैदावार करने वाले प्रमुख राज्य कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु में कम बारिश होने की वजह से धान की पैदावार प्रभावित हुई है और इसी कारण आने वाले दिनों में चावल की कमी और कीमतों में तेज की आशंका को देखते हुए सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया।
22 मिलियन चावलों का एक्सपोर्ट-
भारत में पिछले साल 22 मिलियन चावलों का एक्सपोर्ट किया गया था। वहीं दूसरी तरफ रूस ने अनाज समझौता तोड़ लिया। रूस ने यूक्रेन के साथ काला सागर अनाज समझौते को तोड़ दिया है। जिसकी वजह से वैश्विक खाद्य संकट की आशंका पैदा हो गई है। रूस के इस समझौते को तोड़ देने से विश्वनाथ बाजार को तगड़ा झटका लगा।
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खाद्यान्न संकट-
इस समझौते से बाहर आने के बाद मध्यपूर्व, अफ्रीकी देशों और एशिया के लिए खाद्यान्न संकट गहराता जा रहा है। अनाज की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। इसीलिए एक तरफ रूस का अनाज समझौते से बाहर आना और दूसरी तरफ भारत द्वारा गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाने के बाद से विश्व पर इसका असर पड़ा है, खाद्यान्न संकट का खतरा वैश्विक स्तर पर मंडरा सकता है।
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