केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि Dwarka Expressway जल्द ही पूरा बनकर तैयार होने वाला है और दिसंबर के आखिर तक इसे शुरू कर दिया जाएगा। 27.6 किलोमीटर लंबी इस परियोजना पर अभी काम चल रहा है और यह दिल्ली से द्वारका को गुरुग्राम के खेड़की दौला टॉल प्लाजा से जोड़ेगी। यह भारत का पहला एक्सेस नियंत्रित आठ लेन एक्सप्रेसवे होगा और एक बार चालू होने के बाद इससे Delhi NCR में वायु प्रदूषण के स्तर में भी कमी आने की उम्मीद की जा रही है।
परियोजना विवादों में-
यह परियोजना तब से विवादों में है जब से भारत के CAG (नियंत्रक महालेखा परीक्षक) ने राजमार्ग के निर्माण में लागत वृद्धि को हरी झंडी दिखाई है। जबकि CAG रिपोर्ट में यह कहा गया था कि एक्सप्रेसवे की निर्माण लागत 18.2 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर से बढ़कर 251 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर हो गई है। सरकार ने दावों का खंडन करते हुए कहा कि यह परियोजना की मुश्किल को आसान बनाता है। हाल ही में नितिन गडकरी ने अपने ट्विटर हैंडल से एक वीडियो साझा किया है। जिसमें जल्द ही तैयार चालू होने वाले देश के पहले एलिवेटेड हाईवे प्रोजेक्ट Dwarka Expressway की झलक दिखाई गई है और इसे इंजीनियरिंग का चमत्कार भी कहा जा रहा है।
इंजीनियरिंग का चमत्कार-
इस एक्सप्रेसवे के पूरा हो जाने के बाद मोटोरवे दिल्ली के द्वारका सेक्टर 25 में IICC (भारत अंतरराष्ट्रीय कन्वैक्शन सेंटर) तक पहुंच आसान हो जाएगी। एक छोटी सुरंग के माध्यम से यह इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक पहुंच के लिए एक वैकल्पिक साधन भी प्रदान करने वाला है। Dwarka Expressway दिल्ली के महिपालपुर में शिव मूर्ति पर NH48 के 20 किलोमीटर के निशान से शुरू होता है और गुरुग्राम के खेड़की दौलत टोल प्लाजा के पास 40 किलोमीटर के निशान पर खत्म हो जाता है। फोर-पैक मोटोरवे की कुल लंबाई 563 किलोमीटर है।
सफर का समय कम-
Dwarka Expressway के जरिए द्वारका से मानेसर तक यात्रा का समय 15 मिनट, मानेसर से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक 20 मिनट, द्वारका से सिंधु सीमा तक 25 मिनट और मानेसर से सिंधु सीमा तक 45 मिनट का समय हो जाएगा। यह परियोजना द्वारका सेक्टर 25 में अंतरराष्ट्रीय कन्वैक्शन केंद्र की कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगी।
दो लाख टन स्टील का इस्तेमाल-
भारतमाला फेस 1 परियोजना के तहत 5,000 किलोमीटर के लिए 91 हजार करोड़ रुपए की लागत को मंत्रालय द्वारा 10 अगस्त 2016 को वर्ष 2016-17 तक अंतिम रूप दिया गया था। एक्सप्रेसवे को दो लाख टन स्टील का इस्तेमाल करके बनाया गया था। जो एक एफिल टावर के निर्माण में इस्तेमाल किए गए स्टील से 30 गुना ज्यादा है। इसके अलावा इस परियोजना के लिए 20 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया था, जो बुर्ज खलीफा के लिए इस्तेमाल किए गए से 6 गुना ज्यादा है।
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हरियाणा सरकार की विकास योजना-
गुड़गांव मानेसर शहरी परिसर के लिए हरियाणा सरकार ने अपनी विकास योजना के हिस्से के रूप में Dwarka Expressway के साथ एक रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर की योजना बनाई है। यह द्वारका से शुरू होकर नए इंटर स्टेट बस टर्मिनल के साथ-साथ खेड़की दौला में 162 एकड़ के क्षेत्र में बनाए जा रहे मेट्रो हब के माध्यम से मानेसर और नीमराना तक चलेगा। इस राजमार्ग पर अच्छी क्वालिटी के इंटेलिजेंट ट्रांस्पोर्ट सिस्टम जैसे अच्छी यातायात प्रबंधन प्रणाली, टोल प्रबंधन प्रणाली, सीसीटीवी कैमरे, निगरानी आदि भी होंगे।
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