ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के महत्वकांक्षी Chandrayan-3 के विक्रम लैंडर ने बुधवार साम 6:04 बजे चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतुहास रच दिया है। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश और चांद के दक्षिण ध्रुव में जाने वाला पहला देश बन गया है। चांद की इस सतह को अब तक कोई देश नहीं छू पाया।
सॉफ्ट लैंडिंग-
वैसे तो चांद की सतह पर अमेरिका, रुस और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं, लेकिन जिस सतह पर भारत के चंद्रयान3 ने लैंडिंग की है। वहां पर अब तक कोई नहीं पहुच पाया है। भारत के Chandryaan-3 ने ऐसा करके इतिहास रच दिया है।
ISRO का यह दूसरा प्रयास-
ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने Chandrayan3 को 600 करोड़ रुपए की लागत से बनाया है। चार साल में चांद की सतह पर उतरने के लिए ISRO का यह दूसरा प्रयास है। चंद्रमा का ध्रुवीय क्षेत्र पर्यावरण के द्वारा होने वाली कठिनाईयों की वजह से बहुत अलग भूभाग है और इसी कारण अभी तक इसका अन्वेषण नहीं हो पाया।
पानी के होने की संभावना-
चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाले पिछले सभी अंतरिक्ष यान भूमध्यरेखीय क्षेत्र में उतरे हैं। लेकिन अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पता लगाया जा रहा है, क्योंकि इसके आसपास के क्षेत्रों मे पानी के होने की संभावना जताई जा रही है। चंद्रयान3 को चंद्रयान 2 के क्रैश होने के बाद उससे सीख लेकर ही बनाया गया है।
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Chandrayan-3 का मिशन का उद्देश्य-
Chandrayan-3 का मिशन का उद्देश्य चंद्र की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग को प्रदर्शित करना, यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग करना और चंद्रमा का विचरण करना है। चंद्रयान2 मिशन 7 सितंबर 2019 को चंद्रमा पर उतरने में उस समय असफल हो गया जब उसका लैंडर ‘विक्रम’ ब्रेक संबंधी प्रणाली में गड़बड़ी होने के कारण चंद्रमा की सतह से टकरा गया था। भारत का पहला चंद्र मिशन 2008 में प्रक्षेपित किया गया था।
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