ISRO Aditya L1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) शननिवार यानि आज स्पेसपोर्ट से भारत के पहले सौर Aditya L1 लॉन्च करने के लिए तैयार है और इसकी उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है। इसे आज सुबह 11:50 बजे यानि कुछ ही देर में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV एक्स से लॉन्च किया जाएगा। इसके साथ ही Aditya L1 का प्राथमिक उद्देश्य क्रोमोस्फीयर और कोरोनल सहित सूर्य के ऊपरी वायुमंडल की गतिशीलता का अध्ययन करना है।
क्या है Aditya L1 का उद्देश्य-
Aditya L1 का उद्देश्य कोरोनल हीटिंग और क्रोमेस्फोरिक के आंसिक रुप का अधययन, कोरोना मास इजेक्शन के प्लेयर्स और आयनित प्लाज़मा की जांच करना है। यह सूर्य से उत्पन्न होने वाली गतिशीलता, कण पर डाटा इकट्ठा करने के लिए इन-सीटू कण और प्लाज्मा वातावरण का भी निरीक्षण करेगा। इसके साथ ही सौर कोरोना की भौतिक और तापमान तंत्र की खोज में भी मदद मिलेगी।
सौर घटनाओं का अध्ययन-
यह मिशन तापमान, वेग और घनत्व के बारे में कोरोना लूप्स के प्लाज्मा और कोरोना मास इंजेक्शन की गतिशीलता विकास उत्पत्ति का पता लगाएगा। इसके साथ ही कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और माप का भी अध्ययन करने वाला है। सौर हवा की उत्पत्ति, गतिशीलता, संरचना सहित अंतरिक्ष मौसम के लिए ड्राइवर की भी जांच करेगा। यह अध्ययन अलग-अलग सौर घटनाओं जैसे कि कोरोनावायरस इंजेक्शन, कोरोना हीटिंग, प्लेयर्स गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करने वाला है।
हमारी समझ को महत्वपूर्ण योगदान-
इसके साथ ही उम्मीद जताई जा रही है कि Aditya L1 मिशन सूर्य के बारे में हमारी समझ को महत्वपूर्ण योगदान देने वाला है। Aditya L1 के पेलोड द्वारा एकत्र किया गया डाटा सौर गतिशीलता और अंतर ग्रह माध्यम से उनके प्रसार प्रभावों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाएगा। इसके साथ ही यह महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि भारत अंतरिक्ष में परिसंपत्तियों में वृद्धि जारी रखता है और उनकी सुरक्षा सीधे सूर्य से होने वाले विस्फोट से संबंधित है।
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यूनिक कैपेबिलिटी-
इस मिशन को नासा के शोल्डर डायनेमिक ऑब्जर्वेटरी और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सोलर हेलियोस्फेरिक की तर्ज पर एक महत्वाकांक्षी वेधशाला वर्ग मिशन के रूप में देखा जा सकता है। इसमें यूनिक कैपेबिलिटी है, जो किसी भी वर्तमान अंतरिक्ष राष्ट्रीय मिशन में नहीं है। इसे सूर्य की सतह के बहुत करीब से उसके मिलियन डिग्री बाहरी वातावरण का निरीक्षण करने और पराबैंगनी प्रकाश में सूर्य की छवियां प्राप्त करने की क्षमता शामिल है, जो इसे चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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भारत की बढ़ती शक्ति का प्रमाण-
Aditya L1 मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की बढ़ती शक्ति का प्रमाण है। यह पृथ्वी की जलवायु और अंतरिक्ष मौसम पर सूर्य के प्रभाव को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा है। जिसका हमारे ग्रह के पर्यावरण और प्रौद्योगिकी पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।