नवरात्रों का मां दुर्गा के भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है नवरात्रों के दौरान भक्त मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनकी विशेष पूजा-अर्चना, उपासना और व्रत करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा माना जाता है की जो व्यक्ति पूर्ण आस्था के साथ नवरात्रों के नौ दिनों मां की पूजा करता है मां उससे अत्यंत प्रसन्न होती हैं और सदैव उसे पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं। बहुत लोग नवरात्रों के नौ दिनों का व्रत तो करते हैं, लेकिन उन्हें इन नो दिनों की महिमा और कथा के बारे में नहीं पता होता। चलिए आज हम आपको नवरात्रि के दूसरे दिन की कथा बताते हैं।
आज से नवरात्रों का महापर्व शुरू हो चुका है नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले रूप शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती हैं। मां शैलपुत्री सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक है। हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। वहीं नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हैं। ब्रह्मचारिणी शब्द का मतलब है तपस्या का आचरण करने वाली, 16 अक्टूबर को इस साल मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी।
ब्रह्मचारिणी कथा-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने पर्वतराज हिमालय की पुत्री बनकर उनके घर में जन्म लिया। तब माता ब्रह्मचारिणी महादेव को अपने पति के रूप में पाना चाहती थी अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी ने नारद जी की सलाह पर कठोर तपस्या की। इनकी तपस्या को लेकर ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी रखा गया। मां ब्रह्मचारिणी अपनी तपस्या में इतनी लीन हो गई कि हजारों सालों तक मां ने फल- फूल कुछ भी नहीं खाया। मां ने कई वर्षों तक जल भी ग्रहण नहीं किया। अपनी कठोर तपस्या से मां ने देवताओं को प्रसन्न किया और अपनी मनोकामना पूर्ण करने का वरदान मांगा।
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पूजा विधि-
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी पूजा की जाती हैं, इसलिए नवरात्रि के दूसरे दिन आपको ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान करना होता है। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण आसान लगा कर मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति को स्थापित करें, मूर्ति पर फूल -माला, चावला और चंदन आदि एक-एक करके चढ़ाए। जिसके बाद मां को पंचामृत अर्पित करें, मिठाई से मां का भोग लगाकर माता को पान सुपारी लौंग इलायची भेट करें। इसके बाद आपको माता के नाम का जाप करना है माता ब्रह्मचारिणी की आरती करनी चाहिए।
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