कार्तिक पूर्णिमा पर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है इसी कारण कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा, जमुना, गोदावरी आदि पवित्र नदियों पर बड़ा मेला लगता है। आरोग्य प्राप्ति और स्वास्थ्य रक्षा के लिए भी स्नान करना बताया जाता है फिर भी माघ, वैशाख और कार्तिक मास में गंगा स्नान का विशेष महत्व बढ़ जाता है।
कार्तिक मास में स्नान करने के महत्व के पीछे एक धार्मिक मान्यता जुड़ी हुई है ऐसा माना जाता है भगवान विष्णु ने जब मत्स्य अवतार लिया तो उनका निवास स्थान पानी ही था। भगवान विष्णु ने यह अवतार राक्षस हयग्रीव का वध करने के लिए लिया था। राक्षस हयग्रीव ने चारों वेदों को चुरा कर समुद्र की गहराई में छुपा दिया था जिसके कारण संसार का संतुलन बिगड़ने लगा। इसके साथ ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने को लेकर यह भी मानता है, कि इस पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती हैं। बड़ी-बड़ी पूजा करने से जो फल प्राप्त नहीं होता वह कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से प्राप्त होता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती हैं।
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कार्तिक स्नान का व्रत शरद पूर्णिमा से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को संपन्न किया जाता है। कुरुक्षेत्र, प्रयागराज, काशी, अयोध्या जैसे तीर्थ स्थान पर स्नान करने का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। परंपरा के अनुसार, इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान का भजन और ध्यान किया जाता है साथ ही दिन में व्रत किया जाता है और शाम के समय देव मंदिरों, गलियों, चौराहा, पीपल वृक्ष और तुलसी के पौधे के नीचे दीप जलाया जाता है। बहुत से लोग लंबे बांस पर लालटेन बांधकर ऊंचे स्थानों पर रखकर रोशनी कर देते हैं, इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा साथ करनी चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति के लिए उदयतिथि को ही करना चाहिए। इस साल स्नान दान की कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को होगी।
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