Kisan Aandolan: बीते 1 हफ्ते से एक बार फिर देश में किसान आंदोलन चल रहा है, जी हां एक हफ्ते से पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर पंजाब के किसान एमएसपी गारंटी की मांग को लेकर अड़ हुए है, इस आंदोलन में अभी तक केंद्र सरकार और किसानों की 4 बैठक पूरी हो चुकी हैं। वहीं रविवार की आधी रात तक चली बातचीत में केंद्र सरकार किसानों को दाल समेत तक़रीबन 5 फसलों पर 5 साल के लिए कानून एमएसपी देने के लिए तैयार हो गई है।
इन फसलों पर सरकार देंगी 5 साल तक एमएसपी-
रविवार की रात सरकार ने प्रदर्शनकारी पंजाब के किसानों के साथ बातचीत करते हुए यह कहा, कि केंद्र सरकार उड़द, मसूर, मक्का और कपास सहित अरहर की दाल पर कानून MSP देने को तैयार है और इसके लिए किसानों को एनसीसीएफ, NAFED और CCI से पांच साल तक करार करना होगा। केंद्र सरकार द्वारा दिए गए के इस प्रस्ताव के जवाब में शंभू बॉर्डर पर बैठे किसान संगठनों ने आपस में बातचीत करके फैसला लेने के लिए 2 दिन का समय मांगा है।
देश की अर्थव्यवस्था को पहुंचा भारी नुकसान-
किसान आंदोलन के चलते पिछले 1 हफ्ते से बंधक बने नेशनल हाईवे के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और इस नुकसान के ठेकेदार प्रदर्शनकारी किसान संगठन हैं, जो शंभू बॉर्डर पर डेरा जमाए बैठे हैं। वहीं दिल्ली पुलिस ने भी सुरक्षा के चलते दिल्ली की तीन सीमाओं को सीलबंद कर दिया है। वहीं भारत में व्यापारियों की सबसे बड़ी संस्था CAIT के अनुसार, दिल्ली सीमाएं सील होने के कारण से व्यापारियों की तरफ से देश की अर्थव्यवस्था को 3 दिनों में तकरीबन 300 करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान पहुंचा है।
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किसान आंदोलन के कारण आम जनता परेशान-
किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के बॉर्डर सील कर दिए गए है जिसकी वजह से इन बॉर्डर पर व्यापार करने वाले और अपनी रोजीरोटी कमाने वाले लोग बहुत परेशान है। इस आंदोलन के चलते लोगों की दुकानों पर ताला लगा हुआ जिसकी वजह से वे अपनी रोजीरोटी नहीं कमा पा रहे।
व्यापारियों ने की सरकार से मांग-
व्यापारियों ने किसान आंदोलन के चलते व्यापार में हो रहे नुकसान को कम करने के लिए सरकार से उपाय करने की मांग करते हुए 1 लेन खोलने की मांग की, जिससे दिल्ली की सुरक्षा भी हो जाए और अर्थव्यवस्था पर भी ज्यादा प्रभाव ना पड़े। वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि पहले भी 13 महीने तक चले किसान आंदोलन ने देश की अर्थव्यवस्था को लगभग 3500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया था 150 से ज्यादा फैक्ट्रियां इस आंदोलन के चलते बंद हुई थीं, जिसमें हजारों लोगों की नौकरियां चली थी। ऐसे में सरकार और किसानों से यह अपील है कि वो जल्द ही इस आंदोलन को समाप्त करें, जिससे बॉर्डर को फिर से खुला जा सकें और देश की अर्थव्यवस्था अपनी रफ्तार में आ जाएं।
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