देशभर से पत्रकारों पर हमले होने के मामले सामने आते रहते है लेकिन इस मामले में उत्तरप्रदेश पहले नंबर पर है। दरअसल लोकसभा में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इस दौरान पूरे देश में पत्रकारों पर हमले के 190 मामले सामने आए हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 से अब तक देश में पत्रकारों पर सबसे ज्यादा हमले उत्तर प्रदेश में हुए है। 2013 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमले के 67 केस दर्ज हुए हैं। दूसरे नंबर पर 50 मामलों के साथ मध्य प्रदेश और तीसरे स्थान पर 22 हमलों के साथ बिहार है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में 63 पत्रकारों पर हमले हुए तो वहीं, 2015 में 1 और 2016 में 3 मामले दर्ज हैं। जबकि, 2014 में सिर्फ 4 लोग, 2015 में एक भी नहीं और 2016 में 3 लोग गिरफ्तार किए गए।
यूपी अब पत्रकारों सुरक्षित नहीं रहा। क्योंकि इन हमलों में कई पत्रकारों की मौत भी हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, 2013 से लेकर अभी तक उत्तर प्रदेश में 7 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है। वही, 2017 में पत्रकारों पर जितने भी हमले हुए, उनमें सबसे ज्यादा 13 हमले पुलिसवालों ने किए हैं। इसके बाद 10 हमले नेता और राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं और तीसरे नंबर पर 6 हमले अज्ञात अपराधियों ने किए। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स-2019 की माने तो भारत में पत्रकारों की स्वतंत्रता और उनकी सुरक्षा दोनों ही खतरे में है।
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अगर बात उत्तर प्रदेश की सरकार की करें तो वहां सरकार चाहे कोई भी रही हो, लेकिन पत्रकारों को धमकाने, पीटने और हत्या के मामलों में कोई कमी नहीं आई है। ताजा मामला है यूपी के शामली का, जहां रेलवे पुलिस ने मालगाड़ी के डिब्बों के पटरी से उतरने की खबर कवर कर रहे पत्रकार अमित शर्मा को बेरहमी से पीटा। इसके अलावा एक चैनल के पत्रकार प्रशांत कनोजिया को सीएम योगी आदित्यनाथ का अपमान करने के नाम पर जेल भेज दिया गया।
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