Supreme Court: हाल ही में किसान आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। याचिका में यह निर्देश जारी करने की मांग की गई है कि सरकार आंदोलनकारी किसानों की मांगों पर विचार करें और किसानों के साथ उचित व्यवहार भी किया जाए। दिल्ली जाने के रास्ते को खोल दिया जाए और किसानों को राजधानी में प्रवेश करने दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन करना किसानों का अधिकार है और इसलिए उन्हें दिल्ली जाने से प्रदर्शन करने से नहीं रोका जा सकता। यह याचिका चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर द्वारा दायर की गई है।
समस्याओं का सामना-
उन्होंने अपने अधिकार में यह कहा कि पुलिस ने रास्ते में जो अवरोध बनाया है, उससे आम आदमी को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा है, अवरोधों को हटाया देना चाहिए। पुलिस द्वारा किसानों पर बल के इस्तेमाल की जांच साथ ही इस दौरान घायल और मारे गए किसानों के परिवार को उचित मुआवजे देने की भी मांग की गई। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान केंद्र सरकार से एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हुए हैं।
आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया जा रहा-
वह एमएसपी पर कानून की मांग कर रहे हैं। करीबन दो हफ्तों से पंजाब के किसान हरियाणा की सीमाओं पर जमा हैं, लेकिन कथित रूप से उन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया जा रहा। कथित तौर पर किसानों पर पुलिस ने डंडे भी चलाए और आशु गैस के गोले भी छोड़े हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते राजधानी की भी कुछ सीमाएं सील कर दी गई। जिससे आम लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
कंक्रीट और बरडिकेटिंग-
किसान दिल्ली आना चाहते हैं और केंद्र सरकार के सामने अपनी मांग रखना चाहते हैं। शंभू बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए कंक्रीट और बरडिकेटिंग भी लगाया गया। सड़कों पर कथित रूप से किसानों के ट्रैक्टर को रोकने के लिए किलें भी लगाई गई है। हालांकि किसान पोकलेन जैसी मशीन लेकर सीमा आ गए हैं। सरकार और किसानों के बीच चार दौर की बातचीत हुई लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला।
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केंद्रीय मंत्री और किसान नेता-
केंद्रीय मंत्री और किसान नेताओं ने चंडीगढ़ में लंबी बातें भी की, लेकिन किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर किसानों से डील करने की कोशिश में है और इसके लिए वह योजना बना रहे हैं। हालांकि किसान इसे पहले ही खारिज कर चुके हैं। साथ ही वह स्पष्ट कह चुके हैं कि उन्हें स्वामीनाथन आयोग द्वारा सुझाए गए C2+50% से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
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