कांग्रेस के 6 बागी विधायकों जिन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की थी। उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई है। विधानसभा अध्यक्ष ने वित्त विधायक पर सरकार के पक्ष में वोट डाल कर पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के मामले में कांग्रेस के 6 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। यह फैसला सुनाते हुए कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि हमने दोनों पक्षों को ध्यान से सुना है और हमने पाया कि बाकी विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन किया है।
विधानसभा से अयोध्या घोषित-
इसलिए उन्हें विधानसभा से अयोध्या घोषित किया जाता है। कुलदीप सिंह पठानिया का कहना है कि कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने वाले 6 विधायकों ने दल बदल विरोधी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। इसलिए इन विधायकों की सदस्य को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है। स्पीकर का कहना है कि दलबल विरोधी कानून के तहत 6 विधायकों के खिलाफ मुझे याचिका मिली, उन्होंने अपने 30 पेज के आदेश में काफी विस्तार से इसकी जानकारी दी।
पार्टी व्हिप का उल्लंघन-
उन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। अब वह हिमाचल प्रदेश के विधानसभा सदस्य नहीं हैं। पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने वाले 6 विधायक कारण बताओं नोटिस के जवाब में बुधवार को अपने वकील के साथ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश हुए और तर्क दिया, कि संबंधित सभी दस्तावेज उन्हें मुहैया नहीं कराए गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष 6 कांग्रेस विधायकों का पक्ष रख वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने तर्क दिया है।
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मंगलवार शाम को दाखिल याचिका की प्रति-
उनके लोगों को सिर्फ नोटिस और मंगलवार शाम को दाखिल याचिका की प्रति दी गई है। जबकि अन्य संलग्न मुहैया नहीं कराए गए। जैन का कहना है कि नियमों के तहत विधायकों को, उन्हें दिए गए नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का समय दिया जाना चाहिए। जैन ने तर्क दिया कि दल बदल विरोधी कानून राज्यसभा चुनाव मतदान पर लागू नहीं होता। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने बार-बार अपने फैसले में स्पष्ट किया है।
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