Lok Sabha Election 2024: हाल ही में आरएलडी और बीजेपी की ओर से औपचारिक तौर पर गठबंधन की घोषणा की गई है और इस गठबंधन के बाद ही RLD बागपत और बिजनौर सीट आरएलडी के खाते में तय मानी जा रही है। जिसके बाद से ही सबकी नजर बिजनौर और बागपत की सीट की पर टिकी हुई है। बिजनौर और बागपत की सीट भले ही आरएलडी के पास मानी जा रही है, लेकिन इसे लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है कि जयंत चौधरी बागपत से खुद चुनाव लड़ेंगे या उनकी पत्नी या फिर कोई और ही प्रत्याशी यहां से चुनाव लड़ेगा। इस पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। वहीं बिजनौर की सीट पर दावेदारों की लंबी लाइन लगी हुई है। वर्तमान में बिजनौर सीट पर सांसद मलूक नागर, जो कि बसपा के सांसद हैं, ने हाल ही में जयंत चौधरी से मुलाकात की।
जिले में कई तरह की चर्चाएं-
जिसके बाद से जिले में कई तरह की चर्चाएं बनी हुई है। मलूक नागर पुराने आरएलडी नेता है, लेकिन उन्होंने मलूक नागर इन बातों से इनकार कर दिया। मलूक का कहना है कि वह सिर्फ अजीत चौधरी को पुष्पांजलि अर्पित करने गए थे। फिलहाल बागपत की सीट देश की वीआईपी सीटों में से एक है और बीजेपी से मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह लगातार दो बार चुने सांसद जा चुके हैं। लेकिन इस बार बीजेपी की पहली सूची में उनका नाम शामिल नहीं था।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी-
शनिवार को हुए गठबंधन के बाद ये सीट आरएलडी की मानी जा रही है और इसी की वजह से इस सीट पर भाजपा ने नाम की घोषणा नहीं की थी। वहीं आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत खुद चौधरी चुनाव लड़ेंगे या उनकी पत्नी या फिर किसी अन्य को यह सीट देंगे, इस पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। हिंदी समाचार वेबसाइट लाइव हिंदुस्तान के मुताबिक, सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है कि जयंत चौधरी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। वह राज्यसभा में ही रखना चाहते हैं और उनकी पत्नी को बागपत में जीता कर संसद भेजेंगे।
चौधरी परिवार से बाहर का व्यक्ति-
दूसरी और यह भी दावा हो रहा है कि उनकी पत्नी चारु चौधरी भी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं रखती है। अब अगर कोई अनेय इस सीट से चुनीव लड़ता है तो कई दशकों के बाद चौधरी परिवार से बाहर का व्यक्ति आरएलडी के लिए टिकट चुनाव मैदान में उतरेगा।हालांकि इस समय बिजनौर की सीट को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है। अभी पार्टी और पार्टी के बाहर के नेताओं के नाम की चर्चा हो रही है। 2009 में आरएलडी भाजपा गठबंधन में संजय चौहान यहां के यहां पर जीत हासिल की थी।
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मलूक नागर-
वहीं 2014 में यह सीट बीजेपी के पास चली गई। जबकि 2019 में बसपा के मलूक नागर यहां से सांसद चुने गए थे। हाल ही में मलूक नागर ने आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी से मुलाकात की। जिसके बाद से उनके फिर से आरएलडी में आने की अटकल तेज होने लगी। इसके अलावा कई अन्य नाम पर भी पार्टी विचार कर रही है। आरएलडी में मीरापुर विधायक और पूर्व सांसद संजय चौहान के पुत्र चंदन चौहान भी एक मज़बूत दावेदार माने जा रहे हैं।
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