जूली चौरसिया
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर की कुर्सी रातों-रात खींच ली गई और नयाब सिंह सैनी के रुप में हरियाणा को नया सीएम मिल गया। अब इसी तरह के कयास यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बारे में लगाए जा रहे हैं। लगाए भी क्यों न जाए खट्टर के जाने के बाद फिलहाल योगी ही भाजपा शासित राज्य के सबसे लंबे समय तक सीएम पद पर बने रहने वाले व्यक्ति हैं। ऐसे में क्या ऑपरेशन खट्टर के बाद ऑपरेशन योगी होने जा रहा है? क्या मोदी सत्ता यूपी में इस बड़े हिन्दू नेता और भाजपा के इस बड़े चेहरे की कुर्सी खींच पाएगी?
मोदी और अमित शाह के साथ ठीक नहीं योगी के रिश्ते-
ऐसा कहा जा रहा है कि इस समय योगी आदित्यनाथ के रिश्ते अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रिश्ते कुछ ठीक नहीं है। मोदी और अमित शाह की जोड़ी भाजपा के बाकी राज्यों को जिस तरह रिमोट कंट्रोल से चला रही है उन्हें यूपी को रिमोट कंट्रोल से चलाने में योगी की वजह से दिक्कत आ रही है। क्योंकि योगी अपने आप में काफी पावरफुल सीएम हैं और वो हाईकमान की हर बात नहीं मानते, बहुत से फैसले योगी अपने स्तर पर लेते हैं जो समस्या की जड़ है और बड़ा हिंदू चेहरा होने की वजह से योगी अगला पीएम फेस भी हैं। लेकिन हाईकमान अपने अलावा बीजेपी में कोई बड़ा नेता नहीं चाहते जो कल पीएम फेस बन उनके सामने खड़ा हो जाए ये भी ऑपरेशन योगी की मुख्य वजह माना जा रहा है।
सबसे पुराने मुख्यमंत्री-
इस समय देश के 11-12 राज्यों में BJP की सरकार है। इन राज्यों में अगर बड़े राज्यों की बात की जाए तो इस समय योगी आदित्यनाथ मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद सबसे पुराने मुख्यमंत्री हैं। जिन्होंने यूपी में मुख्यमंत्री के तौर पर करीब 7 साल का कार्यकाल पूरा किया है। दूसरे स्थान की बात की जाए तो गोवा के मुख्यमंत्री हैं प्रमोद सावंत जिन्होंने लगभग 5 साल का कार्यकाल पूरा किया है, तीसरे स्थान पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, चौथे स्थान पर असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा, वहीं पांचवे स्थान पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल हैं, बाकियों का बात की जाए तो उन्होंने अभी कुछ ही समय बिताया है।
कैबिनेट के सदस्य और अमित शाह-
इसका सीधा मतलब यह है कि BJP में बहुत कम ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है। अब ऐसा कहा जा रहा है कि मनोहर लाल खट्टर का बाद अगला नंबर योगी आदित्यनाथ का है। कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ की अमित शाह से कुछ खास बनती नहीं है। सूत्रों के मुताबिक योगी आदित्यनाथ के ब्यूरो क्रैट्स यानी अधिकारियों का मानना है कि अमित शाह बिना किसी वजह उत्तर प्रदेश में बहुत दखल देते हैं। उदाहरण के लिए योगी कैबिनेट के कुछ मंत्री हैं जिन्हें अमित शाह का आदमी कहा जाता है। क्योंकि कैबिनेट के बहुत से सदस्य ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ अमित शाह के कहने पर ही सदस्य बनाया गया है। अमित शाह कि यही बात योगी आदित्यनाथ को पसंद नहीं है। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ के रिश्ते अमित शाह के साथ पीएम मोदी के साथ भी कुछ हद तक ठीक नहीं हैं।
पीएम मोदी असहज क्यों-
लोगों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के सहयोगियों का मानना है कि नरेंद्र मोदी के बाद पीएम पद यानी मुख्यमंत्री का पदभार योगी आदित्यनाथ संभालें, ना कि अमित शाह। एक कारण यह भी है जिसकी वजह से पीएम मोदी थोड़े से असहज हो गए। इसके साथ ही बहुत से कारण हैं जिनमें संगठन, फैसले, मंत्रीमंडल को किस तरह से चलाया जाता है भी शामिल है। ऐसा कहा जाता है कि BJP के जितने भी मुख्यमंत्री हैं वह सभी पीएम मोदी के कहने पर ही कोई काम करते हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ ऐसा नहीं करते यानी कि वह पीएम मोदी या किसी अन्य के इशारों पर नहीं चलते।
लोकसभा चुनाव-
शोधकर्ताओं का मानना है कि BJP इस समय योगी आदित्यनाथ को हटा नहीं पाएगी। क्योंकि लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं और वह सीएम योगी आदित्यनाथ को हटाकर कोई जोखिम नहीं ले सकते हैं। लेकिन अगर नरेंद्र मोदी फिर से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनते हैं तो योगी आदित्यनाथ का जाना भी तय माना जा रहा है। इसका कारण यह है कि क्योंकि पीएम मोदी अपने किसी भी मुख्यमंत्री को उसका कार्यकाल पूरा नहीं करने देते हैं। लेकिन सिर्फ चुनाव के डर की वजह से कि सत्ता उनके हाथ से निकल ना जाएं। बस इसलिए ही योगी आदित्यनाथ अपना कार्यकाल पूरा कर पाए हैं।
शोधकर्ताओं का मानना-
साल 2025 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 74 साल के हो जाएंगे। जिसके बाद वह प्रधानमंत्री के पद पर किसी और को कार्यरत करेंगे। शोधकर्ताओं का मानना है कि नरेंद्र मोदी अपने बाद सिर्फ अमित शाह को ही प्रधानमंत्री की कुर्सी सौपेंगे। लेकिन लोगों के मानना है कि योगी आदित्यनाथ को मोदी के बाद प्रधानमंत्री का पद संभलना चाहिए। जिसके चलते ही योगी मोदी को थोड़े खटकने लगे हैं। उदाहरण को तौर पर देखा जाए तो इतिहास में पहले भी ऐसा हो चुका है। जहां मोदी जी की जगह पर अटल बिहारी वाजपेयी, अमित शाह की जगह पर राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ की जगह पर कल्याण सिंह थे।
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इतिहास में ऐसा हो चुका है-
जिन्होंने पहले राजनाथ सिंह को नाराज़ किया फिर अटल बिहारी वाजपयी को नाराज़ किया। जिसका नतीजा यह निकला की उन्हें पार्टी ने रास्ता दिखा दिया। योगी आदित्यनाथ की तरह कल्याण सिंह यूपी के ही मुख्यमंत्री थे। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस समय बीजेपी पार्टी की बात की जाए तो बीजेपी का मतलब अगर अमित शाह और नरेंद्र मोदी है तो यह कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि पार्टी का पूरी कंट्रोल इन दोनों के ही हाथों में है। क्योंकि इस समय जिसे भी टिकट दिए जा रहे हैं उसमें अमित शाह की छाप दिखती है। ऐसा कहा जाता है कि बड़े पुराने नोताओं जैसे राजनाथ सिंह, देवेंद्र, नितिन गडकरी समेत कई बड़े नेताओं को भा रास्ते से हटा दिया गया है तो योगी आदित्यनाथ तो उनसे बहुत ही जुनियर हैं।
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कार्यकारिणी में बदलाव-
हाल ही में बीजेपी ने अपनी कार्यकारिणी में बदलाव किया है जिसके मुताबिक बीजेपी का अध्यक्ष चुनाव जीतकर नहीं बनेगा बल्कि पार्लियामेंट्री बोर्ड यह तय करेगा कि अध्यक्ष कौन होगा और बीजेपी के द्वारा अध्यक्ष किसी नए चेहरे को ही बनाया जाता है, जो कि सिर्फ उनके कहने पर ही चले। इसके साथ ही अगर योगी आदित्यनाथ के विधायक मंडल की बात की जाए तो उनमें से भी बहुत से लोग हैं जो योगी के साथ नहीं हैं। यानि योगी की अपने विधायकों से भी कुछ खास बनती नहीं है। क्योंकि योगी एकला चलो के नारे के साथ चलते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर बीजेपी के अगले पीएम फेस की बात की जाए तो वह अमित शाह ही होंगे। क्योंकि इस समय अमित शाह अपनी पकड़ को मज़बूत करने में पूरी तरह से जुटे हुए हैं।
इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ के लिए दिन मुश्किल भरे होने वाले हैं।