CJI(भारत के मुख्य न्यायाधीश) डीवाई चंद्रचूड़ फिलहाल देश के सबसे अधिक ताक़तवर व्यक्ति हैं। लेकिन बहुत से लोगों को ये भ्रम होता है कि भारत में सबसे ताकतवर व्यक्ति उस देश का प्रधानमंत्री होता है। हालाकिं ऐसा नहीं है, सबसे ताक़तवर इस देश में कार्यपालिका और न्यायपालिका होती है, जो एक दूसरे के समान शक्तिशाली होती है और एक दूसरे के फैसले गिराने की ताकत रखती हैं।
कार्यपालिका से हमारा मतलब देश की संसद से है और न्यायपालिका से हमारा अर्थ सुप्रीम कोर्ट से है। देश के प्रधानमंत्री या सरकार केवल देश के संविधान और कानूनों के हिसाब से सरकार चला सकते हैं, लेकिन कोई नया कानून नहीं बना सकते। कानून बनाने का अधिकार देश की संसद के पास होता है, वहीं से बहुमत के आधार पर कानून पास होते हैं।
देश में कैसे बनते हैं कानून, क्या सुप्रीम कोर्ट इन्हें पलट सकता है?
जैसे मौजूदा मोदी सत्ता पिछली दो योजनाओं से बहुमत में है तो वो अपने सांसदों की वोटिंग के आधार पर संसद के जरिए देश में कई नए कानून लेकर आई है, यहां ये कानून बिल के रूप में पेश किए जाते हैं और बाद में पास हो जाने के बाद ये कानून का रूप ले लेते हैं।
देश की सुप्रीम कोर्ट के पास इन कानूनों की व्याख्या करने का अधिकार होता है, कोर्ट इनके अनुसार सजा भी सुना सकता है और अगर कोर्ट को ये कानून संविधान के अनुरूप न लगे तो वो इन्हें खत्म करने की ताकत भी रखता है। लेकिन न्यायपालिका बेहद कम मामलों में ही ऐसा करता है जिससे कार्यपालिका और न्यायपालिका में टकराव की स्तिथि पैदा न हो। कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट और देश की संसद एक दूसरे के फैसले को उल्ट-पलट सकती है।
इस वक्त सुप्रीम कोर्ट या मुख्यन्यायाधीश कैसे हैं देश की सुपर पावर?
फिलहाल देश में 2024 लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है। देश की संसद के सभी सत्र पूरे हो चुके हैं अब संसद का अगला सत्र नई सरकार बनने के बाद ही लग पाएगा। ऐसे में संसद के पास देश में कोई नया कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले को बदलने की ताकत फिलहाल की स्तिथि में नहीं है।
देश का सुप्रीम कोर्ट फिलहाल भारत में सुप्रीम पावर है, इसी के चलते मोदी सरकार सत्ता में बैठे रहते हुए भी चुनावी बॉन्ड पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर फिलहाल शांत है, क्योकिं वो जानती है कि कोर्ट के आदेश को बदला नहीं जा सकता बस वो कोर्ट में गुहार लगा सकते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई होनी है अगर कोर्ट ईडी को केजरीवाल की रिहाई का आदेश दे देता है तो मोदी सत्ता उन्हें इस मामले में फिर से गिरफ्तार नहीं कर पाएगी, उन्हें इस मामले में कोर्ट के आदेशानुसार ही चलना होगा।