Puri Jagannath Mandir: भगवान जगन्नाथ मंदिर जो उड़ीसा की पुरी में मौजूद है, के रत्न भंडार को खोलने की तैयारी तेज हो चुकी है। हाई कोर्ट के जज के नेतृत्व में बनी समिति ने मंदिर के खजाने को खोलने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। करीब चार दशक बाद रत्न भंडार का दरवाजा खोला जाएगा। आखिरी बारिश दरवाजे को साल 1985 में खोला गया था। लेकिन तब सिर्फ मरम्मत की गई थी, रत्न भंडार में मौजूद खजाने का लेखा-जोखा आखिरी बार 1978 में लिया गया था। साल 2018 के अप्रैल में जब मंदिर प्रशासन निर्वाचन भंडार के अंदर चैंबर को खोलने की कोशिश की, तो उन्हें चाबी ही नहीं मिली।
राजनीति गरमा गई-
चाबी गायब खोने पर विवाद से उड़ीसा की राजनीति गरमा गई। इसी साल हुए उड़ीसा विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने तत्कालीन नवीन पटनायक ने सरकार पर चाबियां को तमिलनाडु भिजवाने का आरोप लगाया। उड़ीसा एसी के जस्टिस विश्वनाथ की अगुवाई में बनी समिति ने कहा कि इसकी पुष्टि हो चुकी है कि रत्न भंडार की एक डुप्लीकेट चाबी मौजूद है। 9 जुलाई को एक और बैठक रखी गई। जिसमें चाबी को समिति के सामने पेश किया जाएगा।
ताला खोलने के लिए एक SOP-
ताला खोलने की खातिर एक SOP तैयार की गई। क्योंकि अंदर चैंबर दशकों से नहीं खुला है, हो सकता है ताले में जंग लग गया हो। श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की आखिरी एंट्री 1978 में हुई थी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से दाखिल एक हलफनामें के मुताबिक, रत्न भंडार में तीन कक्ष हैं। भीतरी कक्ष में रखे आभूषणों का कभी भी इस्तेमाल नहीं होता है। दूसरे कक्ष के आभूषणों को त्योहारों के अवसर पर निकाल दिया जाता है। वहीं देवताओं के दैनिक अनुष्ठानों के लिए वर्तमान कक्ष में रखे आभूषणों का इस्तेमाल होता है।
ये भी पढ़ें- बारिश से खुल रही भ्रष्टाचार की पोल, यहां 24 घंटे के अंदर ही गिरा गया दो दिन पहले तैयार हुआ पुलिया..
रत्नभंडार में क्या है-
हलफनामें के मुताबिक भीतरी कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना है और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है। वहीं बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना है और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है। वर्तमान कक्ष में 3 किलोग्राम 480 ग्राम सोना है और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है। 1978 के बाद 1985 में रत्न भंडार के अंदर का कक्ष को खोला गया था। लेकिन सिर्फ मरम्मत हुई, उसके बाद से मंदिर प्रशासन ने दो बार भीतरी कक्ष को खोलने की कोशिश की। लेकिन श्रद्धालु की भावना आहत होने के डर से उन्होंने अपने कदमों को पीछे खींच लिया। आखिरी बार ऐसी कोशिश 4 अप्रैल 2018 को ठीक है, तब प्रशासन निरीक्षण के लिए भीतरी कक्ष खोलना चाहता था, लेकिन चाबी नहीं मिली।
ये भी पढ़ें- Hathras Haadse को बाबा के वकील ने दिया नया एंगल, कहा कुछ लोगों ने ज़हरीले…, दावे में कितनी सच्चाई?
