राज्यसभा में मंगलवार को केंद्रीय बजट पर चर्चा के दौरान एक रोचक घटना सामने आई। सदन के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने अपनी जाति पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “मैं जाट हूं और इस पर मुझे गर्व है।”
जाट आरक्षण का इतिहास-
धनखड़ ने बताया कि जाट समुदाय केंद्र और राजस्थान सरकार की OBC सूची में शामिल है। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि वे खुद जाट आरक्षण समिति से जुड़े थे और इस मांग के लिए हुए आंदोलन में एक प्रमुख प्रवक्ता की भूमिका निभाई थी।
“मैं उस छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा था, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। हमारी मांग तुरंत स्वीकार कर ली गई थी,” धनखड़ ने याद करते हुए कहा।
राजस्थान में जाट आरक्षण-
धनखड़ ने आगे बताया, “उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री जैसलमेर में थे। वे तुरंत वापस लौटे और राज्य में भी इसे लागू किया। राजस्थान पहला राज्य था जहां जाटों को पहले केंद्र से और फिर राज्य से आरक्षण मिला।”
कानूनी पेचीदगियां-
हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ कानूनी खामियां भी थीं। धनखड़ ने बताया कि मामला कई वर्षों तक अदालत में चलता रहा। “मैंने खुद एक वकील के रूप में इस केस में बहस भी की थी,” उन्होंने कहा।
अन्य समुदायों की मांगें-
धनखड़ के इस बयान के बाद, कांग्रेस सदस्य रजनी अशोकराव पाटिल ने मराठों को भी OBC सूची में शामिल करने की मांग रखी।
बजट पर चर्चा जारी-
इस बीच, बजट पर चर्चा जारी रही। भाजपा सदस्य महेंद्र भट्ट ने कहा कि यह बजट “हर भारतीय के सपने” को पूरा करने में मदद करेगा, जिसका लक्ष्य 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है।
IUML के हारिश बीरान ने आरोप लगाया कि बजट में हर राहत भाजपा के सहयोगी राज्यों को दी गई है। उन्होंने केरल के लिए विभिन्न परियोजनाओं की मांग की।
विपक्ष के आरोप-
शिवसेना (UBT) की प्रियंका चतुर्वेदी ने बजट को “महाराष्ट्र विरोधी” और “प्रधानमंत्री सरकार बचाओ योजना” करार दिया।
इस तरह, राज्यसभा में बजट चर्चा के दौरान जाति और क्षेत्रीय मुद्दे भी उभरकर सामने आए। जहां धनखड़ ने अपनी जाति पर गर्व व्यक्त किया, वहीं विभिन्न दलों के सदस्यों ने बजट में अपने-अपने राज्यों की उपेक्षा का आरोप लगाया।