Rahul Gandhi: हाल ही में हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने SEBI की चीफ पर गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि इस पर सरकार की ओर से कोई आदेश नहीं दिया गया और ना ही किसी से इस्तीफे की मांग की गई। इसके अलावा ना ही हिंडनबर्ग की नई अडानी रिपोर्ट को लेकर किसी तरह की जांच के बारे में कुछ किया गया। इस पर ध्यान देने के बजाए ईडी ने राहुल गांधी की फाईल खोल दी, जिन्होंने अडानी के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए, यहां तक की संसद में भी मोदी और अडानी को लेकर कई दस्तावेज़ पेश किए। उन्होंने कई सबूत भी दिए की किस तरह से एयर पोर्ट, देश का इंफ्रास्टर्क्चर, देश के संसाधन किस तरह से लिंक हैं इन सब के तमाम सबूत राहुल गांधी ने पेश किए, उन्हीं राहुल गांधी की फाईल अडानी के मामले में खोल दी गई है।
राहुल गांधी के खिलाफ ईडी-
सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि राहुल गांधी के खिलाफ ईडी ने फाइल जमा कर ली है और कभी भी वह राहुल गांधी का दरवाज़ा खटखटा सकती है। दरअसल साल 2022 के जून में ईडी ने राहुल गांधी से करीब 40 घंटे तक पूछताछ की थी। एजेंसी चाहती थी कि राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी दोनों यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के रोज़ाना के कामकाज और उसमें उनकी भूमिकाओं के बारे में सवालों के जवाब दें। सोनिया गांधी और राहुल गांधी यंग इंडिया में बहुसंख्यक हिस्सेदारी है। सूत्रों के मुताबिक गांधी परिवार ने कहा था कि कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल बोहरा ही यंग इंडियन के रोजमर्रा के मामलों के लिए जिम्मेदार थे।
एजेएल एसोसिएटेड जनरल-
ईडी ने आरोप लगाया कि एजेएल एसोसिएटेड जनरल के शेयरधारकों और कांग्रेस के दान दाताओं को धोखा देने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी। जिससे एजेएल की सैकड़ो करोड़ रुपए की संपत्ति का कंट्रोल यंग इंडिया के लाभकारी मलिको यानी गांधी परिवार को दिया जा सके। पिछले साल केंद्रीय एजेंसी ने दिल्ली में हेराल्ड हाउस और मुंबई लखनऊ की संपत्तियां समेत 751.90 करोड रुपए की संपत्तियां अस्थाई रूप से कुर्क की थी। इस मामले में कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष पवन बंसल से नवंबर 2023 में दूसरी बार पूछताछ की गई। अप्रैल 2022 में ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ भी पूछताछ की थी। अब इसी मामले में फिर से एक बार ईडी राहुल गांधी का दरवाज़ा खटखटाने वाली है। हालांकि यह भ हो सकता है कि राहुल गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया जाए।
पूछताछ के बाद एक्शन-
अब पूछताछ के बाद ही कोई एक्शन लिया जाएगा, हो सकता कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए। हालांकि यह तो सरकार का फैसला होगा। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि जब पिछले साल हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए थे, तो उस समय भी राहुल गांधी ने इस पर आवाज़ उठाई थी और पीएम मोदी और अडानी ग्रुप पर कई सवाल उठाए थे। जिसका नतीजा यह हुआ कि राहुल गांधी की संसद में सदस्यता को रद्द कर दिया गया था। साथ ही एक पुराने मामले में दो साल की सजा सुनाई, जिससे जेल जाने की नौबत आ गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हिम्मत दिखाई और राहुल गांधी जेल जाने से बच गए। अब इस बार फिर उन्होंने सवाल खड़े किए, तो अब फिर से समन भेजने की तैयारी शुरु हो गई।
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जांच एजेंसीयां कर क्या रही हैं-
अब सवाल यह उठता है कि आखिर अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच क्यों नहीं की जा रही है। इसके अलावा जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठा रहा है, उसे जेल भेजने की तैयारी हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि आज का जो समय है उसमें सच बोलने वाले की आवाज़ को दबाया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आज के समय में जांच एजेंसीयां सिर्फ बातें सुनकर ही किसी पार्टी के नेता पर इल्ज़ाम लगाती है, जैसे हेमंत सोरेन पर 100 करोड़ रुपय के घपले का आरोप लगाया गया, जेल भी भेजा गया। लेकिन उनके पार से 100 करोड़ तो दूर की बात एक रुपया घपले का बरामद नहीं किया गया। वहीं दूसरी ओर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जो बहुत बड़ा मुद्दा है उस पर जांच एजेंसियों का कोई ध्यान नहीं है।
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