Haryana: जल्द ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव शुरू होने वाले हैं और सभी दल अपनी-अपनी रणनीति में लगे हुए हैं। उम्मीदवारों के नाम भी फाइनल किए जा रहे हैं। इस सबके बीच रेवाड़ी से कांग्रेस के नेता और एक बार विधायक रहे, चिरंजीव राव ने पार्टी के सामने बड़ी दावेदारी ठोक दी है। उन्होंने चुनाव से पहले ही खुद को उपमुख्यमंत्री बनाने का ऐलान करते हुए पार्टी को हैरानी में डाल दिया है। अभी यह तय भी नहीं हुआ कि उन्हें पार्टी इस बार मैदान में उतरेगी या नहीं। लेकिन उन्होंने खुद को डिप्टी सीएम कैंडिडेट मान लिया है।
चिरंजीव राव-
चिरंजीव राव राज्य बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं। दो दिन पहले चिरंजीव राव ने रविवार को अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने बिना किसी चर्चा या नाम की घोषणा किए खुद ही ऐलान कर दिया, कि वह 9 सितंबर को अपना नामांकन करेंगे। इसके अलावा उन्होंने यह भी दावा किया है कि अगर वह चुनाव जीतते हैं और पार्टी की सरकार सत्ता में आती है, तो वह डिप्टी सीएम बनेंगे।
उपमुख्यमंत्री पद-
उनका कहना है कि उनकी भी महत्वाकांक्षा है कि वह उपमुख्यमंत्री बने और यह लड़ाई अकेले उनकी नहीं दक्षिण हरियाणा की है। इससे पहले उनके पिता कैप्टन अजय यादव और चिरंजीव राव ने कहा कि भाजपा के शासन में क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ है, जो भी कार्य दिख रहे हैं वह सभी कांग्रेस काल में हुए थे। उन्होंने कहा कि ट्रिपल इंजन की सरकार होने के बावजूद रेवाड़ी के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से परेशान हैं।
बीजेपी सत्ता में-
राज्य में पिछले 10 सालों से बीजेपी सत्ता में है। कांग्रेस की उम्मीद है कि इस बार राज्य की जनता उनकी सरकार बनाएगी। इसके लिए पार्टी महीनों से तैयारी कर रही है। यही कारण है कि पार्टी के कई सीनियर लीडर अपनी सरकार आनी तय मानकर खुद को दावेदार मानकर चल रहे हैं। हालांकि सार्वजनिक रूप से इसका ऐलान नहीं किया है। कांग्रेस पार्टी के भीतर इस दावे के प्रभाव को लेकर विभिन्न प्रकार की चर्चाएं हो रही हैं।
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कुछ नेताओं का मानना है कि इस तरह के बयानों से पार्टी की स्थिति पर असर पड़ सकता है और यह चुनावी समीकरण को उलझा सकता है। वहीं, कुछ नेताओं का मानना है कि यह बयान केवल राजनीतिक ड्रामा है और इसका चुनावी परिणामों पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। तेजस्वी यादव के करीबी सहयोगी के इस बयान ने हरियाणा में चुनावी पारे को और भी गर्म कर दिया है। कांग्रेस और अन्य दलों के बीच जारी सत्ता संघर्ष में यह एक नया मोड़ है, जो आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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