New Social Media Policy: उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एक नई सोशल मीडिया नीति को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर दिखाएं जाने वाले कंटेंट को कंट्रोल करना है। यह नीति राज्य में ऑनलाइन सामग्री पर सख्त निगरानी और कानूनी कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नई नीति के तहत राष्ट्र-विरोधी सामग्री को एक गंभीर अपराध माना जाएगा और इसके लिए तीन साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा हो सकती है।
नई नीति-
पहले ऐसे मामलों को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66E और 66F के तहत संबोधित किया जाता था, जो गोपनीयता, उल्लंघन और साइबर अटैक से संबंधित हैं। हालांकि नई नीति के तहत इन मामलों में ज्यादा कठोर और विशिष्ट दिशा-निर्देश पेश किए गए हैं। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति अश्लील या मानहानिकारक सामग्री ऑनलाइन प्रसारित करता है, तो उस पर आपराधिक मानहानि के आरोप लगाए जा सकते हैं।
कानूनी दबाव-
यह प्रावधान डिजिटल प्लेटफार्मों के दुरुपयोग पर कानूनी दबाव को बढ़ाता है और ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करता है। नीति के मुताबिक, विज्ञापन प्रबंधन के लिए एक नई डिजिटल एजेंसी, वी-फॉर्म को सूचीबद्ध किया गया है। इस एजेंसी की जिम्मेदारी होगी कि वह वीडियो, ट्वीट, पोस्ट और रील्स की निगरानी करें और सुनिश्चित करे कि यह सामग्री नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप हो।
नीति को लागू करने में सहायता-
वी-फॉर्म की भूमिका डिजिटल विज्ञापन और कंटेंट मेनेजमेंट में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी, जिससे सरकार की नीति को लागू करने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा नीति में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रभावशाली व्यक्तियों, खाताधारकों और ऑपरेटरों के लिए भुगतान सीमा भी निर्धारित की गई है। एक्स पर प्रभावशाली व्यक्तियों के लिए मासिक भुगतान की अधिकतम सीमा 5 लाख रुपये, फेसबुक पर 4 लाख रुपये, और इंस्टाग्राम पर 3 लाख रुपये निर्धारित की गई है।
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भुगतान सीमा-
यूट्यूब पर वीडियो, शॉर्ट्स और पॉडकास्ट के लिए भुगतान सीमा क्रमशः 8 लाख रुपये, 7 लाख रुपये, 6 लाख रुपये और 4 लाख रुपये निर्धारित की गई है। यह कदम सोशल मीडिया पर वित्तीय लेनदेन की पारदर्शिता और नियंत्रण को बढ़ावा देगा। नई सोशल मीडिया नीति का उद्देश्य डिजिटल प्लेटफार्मों पर अनुशासन बनाए रखना और आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार को कंट्रोल करना है। इस नीति के माध्यम से राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल कानून और संविधान के दायरे में रहे और किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधि को बढ़ावा न मिले।
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