अजय दीप लाठर
Haryana BJP: मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के एक के बाद एक कारनामे चुनावी प्रदेश हरियाणा के लोगों के बीच चर्चा का विषय बन रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही इनकी बयानबाजी से इनके राजनीतिक रूप से अपरिपक्व होने का खुलासा होता है। साथ ही इनके बयान लगातार विपक्ष के निशाने पर आ रहे हैं। इनके कारनामों से लग रहा है कि ये भाजपा की हरियाणा में हार की बुलंद नींव रखने में जुटे हैं। ऐसे में आरएसएस व भाजपा से जुड़े लोगों ने तो कहना शुरू कर दिया है कि नायब-मोहन ने किसी न किसी से भाजपा की सुपारी ले ली है। ये चर्चा यूं ही शुरू नहीं हुई, बल्कि कुछ प्वाइंट इसे पुख्ता करते नजर आते हैं।
1- नायब चाहते हर सैनी को टिकट मिले, मोहन की पसंद ब्राह्मण-
विधानसभा चुनाव को लेकर टिकट बंटवारा शुरू हुआ तो नायब सिंह सैनी ने हर उस सैनी को टिकट देने की वकालत की, जो किसी न किसी हलके में एक्टिव था। ऐसे में मोहन लाल भी पीछे रहने वाले नहीं थे, उन्होंने भी हर उस ब्राह्मण के लिए जोर लगाना शुरू कर दिया, जिस किसी का भी नाम सामने आ रहा था। भाजपा के अंदर ही लोगों ने यह तक कहना शुरू कर दिया था कि अब सैनी व ब्राह्मण के अलावा अन्य लोगों को कुछ अलग तरीके से ही देखा जाने लगा है। लेकिन, बाद में आपसी टकराव से बचने के लिए नायब-मोहन ने ऐसी जुगलबंदी कर ली, कि दोनों ने टिकट बंटवारे के मामले में एक-दूसरे का साथ देने के कसमें-वादे कर लिए। अब हालात यह हो गए हैं कि नायब और मोहन के बीच अंडरस्टैंडिंग है, नायब किसी सैनी की टिकट की वकालत करते हैं तो मोहन टेक लगाते हैं और मोहन किसी ब्राह्मण की टिकट की पैरवी करते हैं तो नायब सहारा लगाते हैं।
2- भाजपा की हार की गारंटी बनी मतदान की तारीख-
चुनाव आयोग द्वारा 1 अक्टूबर को मतदान की घोषणा के साथ ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल ने चिट्ठी लिख दी, जिसमें तारीख को आगे सरकाने का आग्रह किया गया। इसके साथ ही भाजपा और मोहन विपक्षियों के निशाने पर आ गए। जनता के अंदर एक नैरेटिव तैयार होने लगा कि भाजपा हार के डर से चुनाव से भाग रही है। अब जब मतदान की तारीख 5 अक्टूबर हो चुकी है तो हर जनमानस के मुंह पर एक ही बात है, तारीख बदलने से हार नहीं टलेगी। वहीं, इस मामले में भाजपाई यह कह कर विपक्ष का मुंह बंद कर सकते थे कि वे चुनाव पोस्टपोन नहीं प्रीपोन करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस बारे किसी का भी मुंह नहीं खुला।
3- मोहन लाल ने छोड़ा चुनावी मैदान-
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने से कुछ दिन पहले ही मोहन लाल ने सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में पराजय हासिल की थी। इसके बावजूद अध्यक्ष की कुर्सी मिलने से मोहन हवा में उड़ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि हार के डर से मोहन लाल ने राई की बजाए सोनीपत विधानसभा क्षेत्र पर अपना हक जता दिया, लेकिन हाईकमान ने इस पर विचार करने से इंकार कर दिया। ऐसे में मोहन लाल ने पार्टी को प्रदेश में जिताने के नाम पर खुद चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। इस कदम से जनता के बीच मैसेज साफ गया कि मोहन ने हार से बचने के लिए ऐसा किया है। प्रदेश अध्यक्ष का हार की संभावना के कारण मैदान छोड़ना कई अन्य विधानसभा क्षेत्रों पर भी असर डालेगा।
ये भी पढ़ें- हरियाणा: मनोहर को झटका है मोहन की तैनाती, बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता था…
4- नायब का हलका बना सिरदर्द
मुख्यमंत्री नायब सैनी फिलहाल करनाल से विधायक हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल ने ऐलान कर दिया कि सैनी लाडवा से चुनाव लड़ेंगे। इसके कुछ घंटे बाद ही सैनी ने कह दिया कि वे करनाल से चुनाव लड़ेंगे। दोनों के इन विरोधाभासी बयानों से हर कोई सकते में है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र नारायणगढ़ है, लेकिन वहां हालत खराब होने के डर से वे अपने खुद के हलके से चुनाव नहीं लड़ना चाहते। इस बार भाजपा की हालत अपेक्षाकृत कमजोर है और जब मुख्यमंत्री को ही अपनी जीत की गारंटी कहीं से नहीं मिल रही तो फिर बाकी का क्या होगा, सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
ये भी पढ़ें- उत्तरप्रदेश को तीन हिस्सों में बांटने जा रही बीजेपी? योगी-अखिलेश मोदी के एक तीर से हो जाएंगे ढेर?
5- शाह के आगमन की सूचना क्यों फैलाई-
जींद की रैली में आने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने स्वीकृति दी ही नहीं थी, न ही उनके संभावित कार्यक्रम में जींद आगमन शामिल था। लेकिन, नायब सिंह सैनी व मोहन लाल की जानकारी में लाते हुए इस रैली में अमित शाह के आगमन की बात फैलाई गई। यह बात अलग है कि रैली स्थल पर न तो गृह मंत्री के प्रोटोकॉल के हिसाब से तैयारी थी, न ही सुरक्षा इंतजाम थे। न किसी होर्डिंग पर शाह को विशेष स्थान दिया गया था, न ही किसी भी तरह के ड्यूटी पास जारी करने का प्रोसेस अमल में लाया गया। लेकिन, शाह के आगमन की सूचना भाजपा को फायदा पहुंचाने की बजाए नुकसान कर गई। अब शाह के न आने से जनता के बीच मैसेज जा रहा है कि भाजपा हरियाणा में बुरी हालत से गुजर रही है, इसलिए अमित शाह ने आने से इंकार कर दिया।
- अजय दीप लाठर, लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।