One Nation One Election: रविवार को NDA की सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर लिए। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के सूत्रों की मानें, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार साल 2029 तक देश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव यानी कि वन नेशन वन इलेक्शन करवा सकती है। इसका जिक्र बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में भी किया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले पर दी गई स्पीच में भी पीएम मोदी ने कि वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत की थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था, कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे हैं।
एक कमेटी का गठन-
वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसने 14 मार्च को द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। यह रिपोर्ट 8,626 पन्नों की है, इस कमेटी का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था और यह रिपोर्ट स्टेट मॉडल एक्सपर्ट से चर्चा के बाद 191 दिन में रिसर्च करके तैयार की गई थी। इस कमेटी ने सभी विधानसभाओं के कार्यकाल को 2029 तक करने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही पैनल ने कुछ सुझाव भी दिए गए हैं।
विधानसभा चुनाव का कार्यकाल-
इसमें सुझाव दिया गया है कि सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी की 2029 तक के लिए बढ़ा दिया जाए। वहीं किसी को भी बहुमत ना मिलने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। वहीं पहले फेस में लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। उसके बाद दूसरे फेज़ में 100 दिनों के अंदर लोकल बॉडी के इलेक्शन कराए जाएंगे। चुनाव आयोग लोकसभा स्थानीय निकाय चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों की मदद से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आईडी तैयार करेगा।
सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग-
पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए जनशक्ति उपकरण और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की भी सिफारिश की है। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुवाई में 8 मेंबर्स की कमेटी, साल 2023 के 2 सितंबर को बनाई गई थाी। दिल्ली के जोधपुर ऑफीसर्स हॉस्टल में वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति, गृहमंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाब नबी आजाद समेत 8 मेंबर थे। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं। इसके साथ ही अगर वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने के लिए राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटाना होगा।
विधानसभाओं का कार्यकाल घटाना होगा-
जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए, उनका कार्यकाल भी बढ़ा दिया जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, कि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए, तो यह 2029 से ही लागू होगा। इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे। वहीं राज्यों के कार्यकाल की बात की जाए तो, बिहार में मौजूदा कार्यकाल पूरा होने वाला है और इसके बाद यह साढे तीन साल ही रहेगा। तमिलनाडु, पुडुचेरी, पंजाब, असमत केरल और पश्चिम बंगाल में मौजूदा कार्यकाल 3 साल 7 महीने घटेगा, उसके बाद का कार्यकाल भी 3 साल होगा।
दूसरे चरण में-
वहीं दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड में मौजूदा कार्यकाल 5 महीने घटेगा उसके बाद सवा दो साल रहेगा। कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, नागालैंड और त्रिपुरा में मौजूदा कार्यकाल 13 से 17 महीने घटेगा, बाद में सवा दो साल रहेगा। इन दो चरणों के बाद देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 29 जून 2029 में खत्म होगा। सूत्रों की मानें तो कोविंद कमेटी आयोग से एक और प्रस्ताव मांगेगा। जिसमें स्थानीय निकाय के चुनाव को भी शामिल करने की बात कही जाएगी।
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वन नेशन वन इलेक्शन-
भारत में फिलहाल विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव होंगे। यानी मतदाता लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा के लिए सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन एक ही समय पर एक ही तरीके से अपना वोट डालेंगे। आजादी के बाद साल 1952 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए थे। लेकिन 1968 और 1959 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गई। उसके बाद साल 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
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