भारत के महान उद्योगपति और समाजसेवी रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया है। उनके जाने से देश के कॉरपोरेट जगत में एक युग का अंत हो गया है। रतन टाटा की मृत्यु से पूरे देश में शोक की लहर है।
एक दूरदर्शी नेता का अंत-
रतन टाटा ने अपने जीवनकाल में भारतीय उद्योग जगत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई और साथ ही समाज के लिए भी बहुत कुछ किया। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता ने भारत के कॉरपोरेट वर्ल्ड को नया आकार दिया।
सामाजिक सेवा में अग्रणी-
रतन टाटा हमेशा से समाज सेवा में आगे रहे। जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था, तब उन्होंने 1500 करोड़ रुपए का दान दिया था। यह उनकी उदारता और देशप्रेम का एक बड़ा उदाहरण था।
कर्मचारियों के साथ जमीनी रिश्ता-
जहां एक ओर कई उद्योगपति अपने कर्मचारियों का शोषण करते हैं, वहीं रतन टाटा अपने कर्मचारियों के साथ जमीन पर बैठकर बात करते थे। यह उनकी विनम्रता और सादगी का प्रतीक था।
अंबानी-अडानी से अलग व्यक्तित्व-
रतन टाटा का व्यक्तित्व मुकेश अंबानी या गौतम अडानी जैसे उद्योगपतियों से बिल्कुल अलग था। उन्होंने हमेशा अपनी कमाई का 60% देश के कल्याण के लिए दान किया। अगर वे चाहते तो अंबानी और अडानी को पीछे छोड़कर देश के सबसे अमीर उद्योगपति बन सकते थे, लेकिन उन्होंने हमेशा समाज को प्राथमिकता दी।
एक युग का अंत-
रतन टाटा के जाने से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में शोक की लहर है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “आपका मुझ पर और बाकी दुनिया पर प्रभाव कभी नहीं भुलाया जाएगा। इतिहास आपको याद रखेगा।”
प्रेरणा का स्रोत-
रतन टाटा की विनम्रता और दयालुता ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है। उनके ज्ञान के शब्दों ने कई लोगों को गहराई से छुआ है। एक अन्य यूजर ने लिखा, “आपकी विनम्रता और दयालुता से हमें प्रेरणा देने के लिए धन्यवाद। शांति से आराम करें, सर।”
रतन टाटा के जाने से भारत ने एक सच्चा आइकन खो दिया है। उनकी विरासत हमेशा याद की जाएगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। ॐ शांति।