Submarine Collision: हाल ही में गोवा के उत्तर पश्चिम समुद्र में भारतीय नौसेना की एक पनडुब्बी यानी सबमरीन के साथ हादसा हो गया। ऐसा कहा जा रहा है, कि एक मछली पकड़ने वाले भारतीय जहाज से भारतीय नौसेना की सबमरीन की टक्कर हो गई। 22 नवंबर को रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी, कि भारतीय नौसेना की स्कॉर्पियन सबमरीन गोवा की ओर से लगभग 70 समुद्री मील दूर अरब सागर में मछली पकड़ने वाले एक नागरिक जहाज से टकरा गई, जिसके बाद मछली पकड़ने वाले जहाज के 11 चालक दल के सदस्यों को बचाया गया और नौसेना के छह जहाज और विमान, दो लापता लोगों को ढूंढने के लिए खोज अभियान में जुट गए।
सबमरीन पैना में कितना नीचे जा सकता है-
हालांकि मछली पकड़ने वाले जहाज से टकराने के पहले स्कॉर्पियो सतह पर या पतली गहराई पर तैर रहा होगा। सबमरीन आमतौर पर 200 से 300 मीटर की गहराई में पानी के नीचे जा सकती हैं और काम कर सकती हैं। हालांकि यह सबमरीन के प्रकार, समुद्री दल की स्थिति और मिशन प्रोफाइल के आधार पर अलग-अलग होते हैं। पेरिस्कोप गहराई पर नौकायन जहां सबमरीन का पतवार सदन से ठीक नीचे होता है और सिर्फ पेरिस्कोप पानी के ऊपर होती है, जो नौकायन का सबसे जोखिम भरा हिस्सा होता है। इस गहराई वाली जगह का इस्तेमाल दृश्य निरीक्षण करने, हमला करने, बैटरी रिचार्ज करने और कुछ परिचालन संबंधित कामों के लिए किया जाता है।
जहाज की स्थिति को ठीक करने के लिए उपाय-
इस पेरिस्कोप गहराई तक जाने या सतह पर आने के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है और आसपास की जगह में नौकायन जहाज की स्थिति को ठीक करने के लिए उपाय किए जाते हैं। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है, कि उनसे जितनी ज़रुरी है उतनी दूरी रखी जाए, गहराई में डूबे हुए जहाज की उपस्थिति और सबमरीन की सतह का पता लगाने के लिए सोनार पर निर्भर करती है। सोनार साउंड नेविगेशन और रेसिंग का सोर्ट फोर्म है। यह एक ऐसा सिस्टम है, जो किसी व्यक्ति की दूरी और दिशा निर्धारित करने, वापस आने वाले साउंड सिग्नल का इस्तेमाल करने पर निर्भर होता है। मॉडर्न सबमरीन में सोनार और अन्य सेंसर का एक सेट होता है, जो उन्हें नेविगेट करने और जहाज की उपस्थिति का पता लगाने में मदद करता है।
सबमरीन की सुरक्षा-
सोनार दो प्रकार के होते हैं, एक निष्क्रिय (inactive) और एक Active (सक्रिय)। एक्टिव सोनार साउंड वेव्स उत्सर्जित करते हैं और आने वाला मुश्किल को एनालाइज़ करते हैं। वहीं सबमरीन की सुरक्षा को देखते हुए, उनका इस्तेमाल बैन है। क्योंकि इसे अगर छुपना है, तो साउंड वेव्स की मदद से दुश्मक को भी इसका पता चल सकता है। दूसरी और निष्क्रिय सोनार कोई सिग्नल नहीं देता है, लेकिन बाकी जहाजों से आने वाली साउंड वेव्स और ऑडियो सिग्नेचर को सुनता है। सोनार को पतवार पर लगाया जा सकता है और या सिर्फ केवल के साथ पनडुब्बी से जुड़े एक बोए से खींचा जा सकता है।
भारत की स्कॉर्पियन सबमरीन –
भारत की स्कॉर्पियन सबमरीन लो फ्रीक्वेंसी एनालिस्ट एंड राइजिंग सोनार प्रणाली से लैस है, जो सबमरीन टैक्टिकल इंटीग्रेटेड कॉम्बैट सिस्टम के साथ इटिग्रेट है, जो लंबी दूरी तक पता लगाने और वर्गीकरण में सक्षम बनाती है। कलवेरी क्लास के नाम से जाने वाली भारतीय नौसेना के पास इस समय में 6 ऐसी सबमरीन है, जो फ्रैंको स्पेशल मूल की है और भारत की पानी के नीचे, कि हमलावर शाखा का एक ज़रुरी हिस्सा है। पहली नाव के भारत में बनने के बाद साल 2017 में कमीशन किया गया था। साथ ही अभी तीन और आर्डर पर हैं। वहीं सबमरीन का समुद्र की सतह पर चल रहे जहाज, यहां तक की समुद्र की गहराई में छिपी अन्य सबमरीन से टकराना कोई नई बात नहीं है।
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कई देशों में आए टकराव के मामले-
लीकेज, आग और अन्य तकनीकी घटनाओं के अलावा सबमरीन के पानी के नीचे चट्टानों से टकराने या फिर फंस जाने के मामले भी सामने आते रहते हैं। सतह पर मौजूद जहाज के बीच भी टकराव होता है।अमेरिकी नौसेना, रूसी नौसेना, दक्षिण कोरिया नौसेना और रॉयल नेवी उन समुद्री बालों में शामिल हैं, जिनकी सबमरीन अन्य युद्धपोतों के साथ-साथ नागरिक जहाज से भी टकराती रही हैं। फरवरी 2009 में दो परमाणु सबमरीन रॉयल नेवी की एचएमएस और फ्रेंच नेवी की ड्राइव पेंट अटलांटिक महासागर में टकरा गई थी। प्रैक्टिस के दौरान अमेरिकी नौसेना की सबमरीन के सतह पर मौजूद सबमरीन से टकराने के भी कई मामले सामने आए हैं।
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