Glasses for Visually Impaired: ऐसा कहा जाता है, कि अगर इंसान कुछ करने की ठान लेता है, तो मुश्किल से मुश्किल काम कर लेता है। सारी मुश्किलों को पीछे छोड़ देता है और उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के छोटे से गांव गोरिया के रहने वाले मुनीर की ऐसी ही एक कहानी है, जो एक किसान परिवार से आते हैं। मुनीर ने कड़ी मेहनत और लगन के बल पर अमेरिका तक का सफर कर लिया है। आज वह साइंस और टेक्नोलॉजी की दुनिया में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुनीर और उनकी टीम ने ऐसे चश्मा को इन्वेंट करने का लक्ष्य रखा है, जो दृष्टिहीन यानी अंधे लोगों की जिंदगी को आसान बना सकेगा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक-
नेत्रहीन लोग इस AI तकनीक पर आधारित चश्मे की मदद से किताबें पढ़ने, चेहरे पहचानना और अपने दिनचर्या के काम किसी मदद के बिना कर पाएंगे। पहले यह काम मुनीर ने शुरू किया था, उनकी कड़ी मेहनत और तकनीकी ज्ञान को देखते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने उनके प्रोजेक्ट को सपोर्ट करने का फैसला किया। अब यह सॉफ्टवेयर दिग्गज कंपनी न सिर्फ इस तकनीक के विकास में मदद करेगी। बल्कि $5000 की वित्तीय मदद और मेंटॉरशिप भी दे रही है।
मुनीर के लिए एक बड़ी उपलब्धि-
मुनीर के स्टार्टअप को माइक्रोसॉफ्ट ने अपने माइक्रोसॉफ्ट वर्ड स्टार्टअप फाउंडर हब प्रोग्राम में 26 अगस्त को शामिल किया। माइक्रोसॉफ्ट के कार्यालय के विशेष लैब में, जो सिएटल वॉशिंगटन में मौजूद है, के तहत उन्हें शोध करने की सुविधा मिलेगी। मुनीर के लिए यह साझेदारी एक बड़ी उपलब्धि है। दृष्टिहीन लोगों के लिए पहले से कुछ तकनीक मौजूद है, जैसे कि स्क्रीन रीडर, नेविगेशन सिस्टम और ब्रेल डिवाइस। स्क्रीन रीडर तकनीक कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर टेक्स्ट को आवाज में बदल देती है। ब्रेल डिवाइस पढ़ने लिखने में मदद करती है।
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चीजों को पहचान और निर्णय लेने में मदद-
वही ऑडियो नेविगेशन सिस्टम के जरिए नेत्रहीन लोग रास्ते और दिशाओं की जानकारी प्राप्त करते हैं। लेकिन मुनीर का एआई पर आधारित चश्मा इन सबका विस्तार होगा। यह सिर्फ टेक्स्ट और आवाज तक सीमित नहीं होगा। बल्कि असल में समय पर आसपास की चीजों को पहचान और निर्णय लेने में मदद करेगा। मुनीर की शैक्षणिक यात्रा भी प्रेरणादायक रही। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूरी की। इसके बाद इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्री करने के बाद वह उच्च शिक्षा और शोध के लिए अमेरिका चले गए। वर्तमान में वह कैंसर के इलाज पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे हैं।
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