One Nation One Election विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट को मंजूरी दे दी है, वहीं इसी शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार संसद में इस विधेयक को पेश कर सकती है। इस चुनावी रिफॉर्म को लेकर सरकार इसे जेपीसी में भेज सकती है। जिससे सभी राजनीतिक दलों के सुझाव भी लिए जाएंगे। अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है, कि देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कब होंगे। दरअसल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक कमेटी की रिपोर्ट में एक नया प्रावधान है अनुच्छेद 82ए(1) शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है। जिसमें कहा गया, कि राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक में एक तारीख अनुसूचित करेंगे।
One Nation One Election-
इसके अलावा इसमें अनुच्छेद 82 ए शामिल करने का भी प्रस्ताव रखा गया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर अब एक देश एक चुनाव के इस बड़े रिफॉर्म को लागू कब, कैसे किया जाएगा और कब एक साथ लोकसभा, विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सूत्रों की मानें, तो अगर केंद्र सरकार द्वारा यह विधेयक संसद में बिना किसी बदलाव से पारित हो जाता है, तो अनुमान है कि 2034 में इसे लागू किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है, कि अगर विधेयक बिना संशोधन के पारित होता है, तो नियत तिथि 2029 में निर्वाचित होने वाली लोकसभा की पहली बैठक के दौरान ही अधिसूचित की जाएगी।
अनुमानित टाइम टेबल-
इसकी वजह यह है, कि इस साल निर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक पहले ही बीत चुकी है और अगली लोकसभा का पूरा कार्यकाल 2034 तक होगा। सूत्रों की मानें, तो यह अनुमानित टाइम टेबल निर्वाचित आयोग के लिए भी बेहतर होगा। क्योंकि उस पर पूरे देश में फ्री एंड फेयर इलेक्शन करने की पूरी जिम्मेदारी होगी। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, कि राजनीतिक सहमति बनाना और संसद में विधेयक पारित करवाना तो बस शुरुआत है। असली काम उसके बाद शुरू होगा। विधानसभा और लोकसभा के लिए एक साथ मतदान की सुविधा के लिए आयोग को नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के लिए आर्डर देने पड़ेंगे।
चुनाव आयोग का क्या कहना है?
इसके लिए काफी समय की जरूरत पड़ती है, अधिकारियों का कहना है, कि एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी EVM की संख्या दोगुनी करने के लिए चुनाव आयोग को आदर्श रूप से ढाई से 3 साल की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, कि सिर्फ EVM और अन्य सामग्रियों की खरीद में ही 7 से 8 महीने लगेंगे। ECIL और BIL जैसी कंपनियां एक साथ इतनी संख्या में प्रोडक्शन नहीं कर सकती। (One Nation One Election)
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इसीलिए असल रूप से हम 3 साल तक का समय देख रहे हैं। वहीं चुनावी सूत्रों का कहना है, कि भले ही सरकार आम सहमति बना लें और 2025 के आखिर तक या 26 की शुरुआत में विधेयक पारित करवा लें। लेकिन आयोग के पास 2029 में इसके तहत चुनाव कराना बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि जल्दबाजी में व्यवस्था करने में बड़ी गलतियां हो सकती है।
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