Hijack False Alarm: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से एक बड़ी खबर सामने आई है। 27 जनवरी को दिल्ली से मुंबई जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI 2957 ने टेकऑफ के तुरंत बाद हाईजैकिंग का इमरजेंसी अलर्ट भेजा, जिससे सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया। हालांकि बाद में यह अलर्ट झूठा साबित हुआ, लेकिन इस घटना ने एविएशन सेक्टर में सुरक्षा प्रोटोकॉल की महत्ता को एक बार फिर रेखांकित कर दिया।
दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोल(Hijack False Alarm)-
126 यात्रियों को लेकर उड़ान भर रही इस फ्लाइट के ट्रांसपॉन्डर ने टेकऑफ के बाद दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोल को ‘स्क्वॉक 7500’ कोड ट्रांसमिट किया। एक वरिष्ठ एयरपोर्ट अधिकारी, जिन्होंने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर जानकारी साझा की, ने बताया कि यह कोड विमान हाईजैकिंग का संकेत देता है।
सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया(Hijack False Alarm)-
अलर्ट मिलते ही दिल्ली एटीसी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए भारतीय वायु सेना, दिल्ली पुलिस, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) को सूचित किया। एक विशेष समिति का गठन किया गया और वायु सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया।
पायलट का स्पष्टीकरण और सावधानी-
हालांकि पायलट ने जल्द ही एटीसी को सूचित किया कि यह एक फॉल्स अलार्म था और विमान सामान्य रूप से संचालित हो रहा है। फिर भी, अधिकारियों ने कोई जोखिम नहीं लेने का फैसला किया। उनकी प्रमुख चिंता यह थी कि पायलट दबाव में होकर स्थिति को फॉल्स अलार्म बताने के लिए मजबूर किया गया हो सकता है।
मुंबई में इमरजेंसी लैंडिंग-
विमान रात 9:47 बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। यहां पूर्ण आपातकाल घोषित कर दिया गया और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) समेत सभी स्थानीय पुलिस बलों को तैनात किया गया। लैंडिंग के बाद विमान को आइसोलेशन बे में भेजा गया, जहां इसकी सावधानीपूर्वक जांच की गई।
यात्रियों की सुरक्षित वापसी-
जब यह पुष्टि हो गई कि विमान से कोई खतरा नहीं है, तब यात्रियों को उतरने की अनुमति दी गई। एक यात्री ने बताया कि पूरी घटना के दौरान क्रू मेंबर्स ने बेहद पेशेवर तरीके से स्थिति को संभाला और यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी।
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जांच की प्रक्रिया-
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के साथ-साथ बीसीएएस और सीआईएसएफ की संयुक्त जांच चल रही है। प्राथमिक जांच में तकनीकी खामी की संभावना पर विचार किया जा रहा है, लेकिन आधिकारिक कारण जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगा।
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