Bengaluru Taxi Driver: बेंगलुरु शहर से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो हमें मानवीय मूल्यों और सेवाभाव की याद दिलाती है। शहर के एक टैक्सी ड्राइवर राकेश, जो वाक् बाधित (Speech Impaired) हैं, ने अपनी असाधारण सेवा से न केवल यात्रियों का दिल जीता है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी छा गए हैं। उनकी कहानी दर्शाती है कि कैसे छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं।
Bengaluru Taxi Driver राकेश-
सिबासुब्रमण्यम जयराम नाम के एक यात्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर अपने अनुभव को साझा किया, जिसने इस कहानी को जन-जन तक पहुंचाया। उन्होंने बताया, कि कैसे राकेश न केवल एयरपोर्ट की सवारी के लिए डिस्काउंट ऑफर करते हैं, बल्कि यात्रियों के लिए बोतलबंद पानी, नैपकिन, और यहां तक कि किताबें भी उपलब्ध कराते हैं। यह ऐसी सुविधाएं हैं जो बड़ी राइड-हेलिंग कंपनियां भी नहीं प्रदान करतीं।
Took a #cab today & realized the driver, Mr. Rakesh, is speech-impaired. He offers airport rides at a discount with water, napkins & books for #passengers—a thoughtful gesture even @Uber & @Olacabs don’t provide. I wasn’t on an airport trip, but he still offered me water.
❤️ 💕 pic.twitter.com/s70KcUodsE
— Sivasubramaniam Jayaraman (@JsivaUrbantranz) January 29, 2025
सेवा का एक नया मानदंड(Bengaluru Taxi Driver)-
राकेश की सेवा की विशेषता यह है, कि वे हर यात्री को समान महत्व देते हैं। जयराम ने बताया, कि हालांकि वह एयरपोर्ट नहीं जा रहे थे, फिर भी राकेश ने उन्हें पानी की बोतल ऑफर की। यह छोटी सी पहल दर्शाती है कि कैसे व्यवसाय में भी मानवीय स्पर्श को बनाए रखा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर मिली प्रतिक्रियाएं-
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर इसे हजारों लोगों ने न केवल इसे देखा बल्कि शेयर भी किया। कई यूजर्स ने राकेश की उदारता और कार्य नैतिकता की सराहना की। एक यूजर ने लिखा, कि कॉरपोरेट्स केवल पैसों के पीछे भागते हैं, जबकि राकेश जैसे लोग दयालुता, देखभाल और मानवीयता जैसे मूल्यों को महत्व देते हैं।
भाषा और संवेदनशीलता का महत्व-
इस चर्चा ने भाषा के उचित प्रयोग पर भी ध्यान आकर्षित किया। कुछ यूजर्स ने सुझाव दिया, कि ‘गूंगा’ शब्द के बजाय ‘वाक् बाधित’ शब्द का प्रयोग किया जाए, क्योंकि यह अधिक सम्मानजनक और उचित है। यह चर्चा समाज में बदलते दृष्टिकोण और बढ़ती संवेदनशीलता को दर्शाती है।
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व्यावसायिक सेवाओं पर सवाल-
राकेश की कहानी ने ओला और उबर जैसी बड़ी राइड-हेलिंग सेवाओं की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। कई लोगों ने टिप्पणी की कि कैसे एक व्यक्तिगत टैक्सी ड्राइवर इतनी बेहतर सेवाएं दे सकता है, जबकि बड़ी कंपनियां बुनियादी सुविधाएं भी नहीं प्रदान करतीं।
राकेश की कहानी से प्रेरित होकर कई लोगों ने उनकी सेवाओं का लाभ उठाने का निर्णय लिया है। एक यूजर ने लिखा कि वे अब से राकेश की सेवाओं का ही उपयोग करेंगे, ताकि एक अच्छे इंसान को अधिक से अधिक व्यवसाय मिल सके और वह और भी समृद्ध हो सके।
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