Gayatri Mantra : सनातन धर्म में देवी गायत्री को वेदों की माता कहा जाता है। वहीं धार्मिक रूप से देवी गायत्री को बहुत ही पवित्र, ज्ञानवान और ब्राह्मण के सत्व माना जाता है, अर्थात देवी गायत्री में भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों काल समाहित होते हैं। इस कारण से देवी गायत्री को त्रिमुख के रूप में पूजा जाता है। कलम के फूल पर बैठी माँ गायत्री सुख-समृद्धि और धन- दौलत को ओर संकेत करती हैं, इस कारण से देवी गायत्री के मंत्र को महामंत्र भी कहा जाता है।
इसके साथ ही कोई भी मनुष्य गायत्री मंत्र का उचित जाप कर ब्रह्मा जी के निकट पहुंच उनकी विशेष कृपा प्राप्त कर सकता है, अर्थात ईश्वर तक पहुंचने और मन की शांति पाने के लिए यह सबसे श्रेष्ठ और सरल मंत्र है। इसके साथ ही अच्छी बात यह है कि माँ गायत्री की उपासना कभी भी किसी भी स्थिति में कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें- आखिर पूजा के समय क्यों नहीं जलानी चाहिए आगरबत्ती, जानिए कारण और अन्य विकल्प
इस प्रकार करें गायत्री मंत्र का जाप-
गायत्री मंत्र के जाप को लेकर ऐसा माना जाता है कि जितना आप गायत्री मंत्र का जाप विधिपूर्वक आस्था और सच्ची भावना के साथ करोंगे, इसका उतना ही अधिक फल आपको मिलेगा। लेकिन गायत्री मंत्र के जाप में सही विधि और सही तरीके का होना अति आवश्य्क है, जैसे प्रतिदिन कि पूजा में 3 माला गायत्री मंत्र को होना शुभ और उचित है । ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र को एक समय में 3 बार बोलना आवश्यक है।
गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले सुबह सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर घर के मंदिर के सामने पद्मासन की मुद्रा में बैठकर ही गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इसी कड़ी में इस बात का विशेष ध्यान रखे कि मंत्र का उच्चारण करते समय आपके के होठों से ध्वनि बाहर ना जाये और माला जाप व मंत्रोच्चार के साथ आपके अंदर इस भावना का संचार होना चाहिए कि आप निरंतर रूप से पवित्र हो रहे हैं। आपके शरीर में दुर्बुद्धि का स्थान सद्बुद्धि ने ले लिया है।
यह भी पढ़ें- Astro Tips: गेहूं के आटे के इन उपायों से होगी आर्थिक तंगी दूर, मिलेगा कर्ज़ से छुटकारा, आज ही अपनाएं