Entry Ban in Kumbh: आस्था के महाकुंभ में उमड़ी भीड़ ने प्रयागराज को जाम कर दिया है। शहर की ओर जाने वाले सात प्रमुख राजमार्गों पर 20 किलोमीटर लंबा जाम लग गया है, जिससे हजारों श्रद्धालु सड़कों पर फंस गए हैं। बुधवार को संगम नोज पर हुई भगदड़ की दुखद घटना के बाद प्रशासन ने बड़े पैमाने पर डीकंजेशन मेजर्स लागू किए हैं। बुधवार की भोर में हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत और 60 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
भगदड़ के बाद कड़े कदम(Entry Ban in Kumbh)-
4 फरवरी तक लागू रहने वाले इन नियमों में प्रयागराज में वाहनों की एंट्री पर पूर्ण प्रतिबंध और पूरे मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित करना शामिल है। जिसके कारण लोग बुरी तरह से फंस चुके हैं और साथ ही सोशल मीडिया पर भी कई वीडियोज़ शेयर किए जा रहे हैं, जिसमें लोगों से ना आने की अपील की जा रही है। इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि बहुत से लोग वहां फंस चुके हैं।
प्रशासन की रणनीति(Entry Ban in Kumbh)-
जिला मजिस्ट्रेट (महाकुंभ नगर) विजय किरण आनंद, डीआईजी (मेला) वैभव कृष्णा और एसएसपी (महाकुंभ) राजेश द्विवेदी के नेतृत्व में प्रशासन ने व्यवस्था को सुचारू बनाने का प्रयास किया। श्रद्धालुओं को निर्धारित होल्डिंग एरिया में रोका गया, जबकि स्नान कर चुके लोगों की वापसी को तेज किया गया।
यात्रियों की परेशानी-
डीकंजेशन प्लान के कारण हजारों यात्री, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, भोजन, पानी और आश्रय के बिना फंसे हुए हैं। प्रयागराज जिले की सीमाएं सील कर दी गई हैं और प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर, चित्रकूट, जौनपुर और मिर्जापुर सहित सभी पड़ोसी जिलों में आने वाले वाहनों को रोका जा रहा है।
रेलवे की विशेष व्यवस्था-
मौनी अमावस्या पर बढ़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रेलवे ने विशेष ट्रेनें चलाईं। उत्तर मध्य रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर रेलवे के सभी सात स्टेशनों से महाकुंभ स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं। भीड़ बढ़ने पर हर 5.30 मिनट में एक ट्रेन यात्रियों को लेकर रवाना हुई। अधिकारियों के अनुसार, तीर्थयात्री रश को देखते हुए 360 से 400 ट्रेनें चलाने का प्रावधान किया गया है।
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बॉर्डर पर सख्ती-
चित्रकूट प्रशासन ने कई बॉर्डर चेकपोस्ट पर ट्रैफिक प्रतिबंध लगाए हैं। राजापुर, मऊ और मुरगहा के साथ-साथ मध्य प्रदेश के पास इटवा दुदैला बॉर्डर पर भी समान उपाय लागू किए गए हैं। पुलिस टीमें इन प्रतिबंधों को लागू करने के लिए तैनात की गई हैं।
प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती फंसे हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधाओं को सुनिश्चित करना है। स्थानीय प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह फंसे हुए यात्रियों के लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था करें।
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