TATA Steel: टाटा स्टील ने भारतीय उद्योग जगत में एक नया इतिहास रच दिया है। कंपनी देश की पहली स्टील निर्माता बन गई है, जिसने हाइड्रोजन परिवहन के लिए विशेष पाइप का निर्माण किया है। यह उपलब्धि भारत के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। कंपनी के खोपोली संयंत्र में निर्मित ये पाइप कलिंगानगर प्लांट से प्राप्त स्टील से बनाए गए हैं।
TATA Steel तकनीकी विशेषताएं और विकास-
इन विशेष पाइपों को 100 प्रतिशत शुद्ध गैसीय हाइड्रोजन के परिवहन के लिए डिजाइन किया गया है, जो उच्च दबाव (100 बार) में भी कार्य कर सकते हैं। कंपनी के अनुसार, हॉट-रोल्ड स्टील के डिजाइन से लेकर पाइप के निर्माण तक की पूरी तकनीक का विकास कंपनी ने स्वयं किया है। यह टाटा स्टील की तकनीकी विशेषज्ञता और महत्वपूर्ण ऊर्जा बुनियादी ढांचे में उनके योगदान को दर्शाता है।
TATA Steel अंतरराष्ट्रीय मान्यता और परीक्षण-
इन पाइपों की गुणवत्ता का परीक्षण इटली की प्रमुख एजेंसी रीना-सीएसएम एस.पी.ए में किया गया। कड़े परीक्षणों में इन पाइपों ने हाइड्रोजन परिवहन की सभी आवश्यकताओं को पूरा किया। यह उपलब्धि और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2024 में टाटा स्टील पहली भारतीय कंपनी बनी थी जिसने हाइड्रोजन परिवहन के लिए विशेष हॉट-रोल्ड स्टील का निर्माण किया था।
कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिक्रिया-
टाटा स्टील के मार्केटिंग एंड सेल्स (फ्लैट प्रोडक्ट्स) के वाइस प्रेसिडेंट प्रभात कुमार ने कहा, “नए ईआरडब्ल्यू पाइप का सफल परीक्षण दर्शाता है कि हम घरेलू स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण भौतिक बुनियादी ढांचा प्रदान करने में सक्षम हैं। हमें भारत के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन में योगदान करने पर गर्व है, जो देश के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।”
रतन टाटा की विरासत का सम्मान-
यह उपलब्धि टाटा समूह के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा के निधन के बाद आई है, जिनका 9 अक्टूबर, 2024 को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। रतन टाटा ने समूह को वैश्विक स्तर पर प्रमुखता दिलाई। उनके निधन के बाद, उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का नया चेयरमैन नियुक्त किया गया है।
ये भी पढ़ें- Union Budget 2025: क्या हुआ सस्ता, क्या हुआ महंगा, जानें आम आदमी की जेब पर पड़ेगा कैसा असर?
टाटा समूह की विरासत और नेतृत्व-
जमशेदजी टाटा द्वारा 1868 में स्थापित टाटा समूह आज एक वैश्विक समूह बन चुका है, जिसका बाजार पूंजीकरण 403 बिलियन डॉलर (लगभग ₹33.7 ट्रिलियन) है और इसका संचालन 100 से अधिक देशों में है। टाटा स्टील की यह नई उपलब्धि न केवल कंपनी की तकनीकी नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि टाटा समूह की उत्कृष्टता की विरासत को भी मजबूत करती है।
यह उपलब्धि भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इससे न केवल देश में हाइड्रोजन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि नेट-जीरो एमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
ये भी पढ़ें- Shark Tank India Season4 में नमिता थापर ने बताया क्यों फेल हुई फोर्ड और कैसे सफल हुई ह्युंडई