Amit Shandilya: मुंबई के जाने-माने लेखक अमित शांडिल्या द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर भारत को लेकर की गई एक टिप्पणी ने देशभर में हलचल मचा दी है। शांडिल्या ने अपने विवादास्पद पोस्ट में भारत को “असंभव रूप से गंदा” बताते हुए देश की स्वच्छता पर सवाल उठाए, जिसके बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई।
बहुत कम जगहें इतनी गंदी(Amit Shandilya)-
अपने पोस्ट में शांडिल्या ने लिखा, “भारत असंभव रूप से गंदा है। दुनिया में बहुत कम जगहें इतनी गंदी हैं। ऐसे कई देश हैं जिनकी जीडीपी हमसे कम है, लेकिन वे हमारी तुलना में स्वच्छ दिखते हैं।” उन्होंने आगे भारत की साक्षरता दर, जल और वायु गुणवत्ता, और नागरिक चेतना पर भी टिप्पणी की। उनका यह पोस्ट मात्र दो दिनों में 6 लाख से अधिक बार देखा गया।
India is NOT filthy.
Who is this @Schandillia ?
And why does this biased tweet get over 6 lakh views in not even 2 days @X ?
Look at US, European cities and the hopelessness of many of their people.
And then compare with Bharat.
When you see filth, look first at your mind. https://t.co/JtfY13aj8P
— Maria Wirth (@mariawirth1) February 6, 2025
भारतीय संस्कृति-
इस विवादास्पद पोस्ट के जवाब में जर्मन लेखिका मारिया वर्थ ने भारत का पक्ष लेते हुए एक जोरदार प्रतिक्रिया दी। वर्थ, जो लंबे समय से भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई हैं, ने लिखा, “भारत गंदा नहीं है और यह पक्षपातपूर्ण ट्वीट दो दिन में 6 लाख व्यूज क्यों पा रहा है? अमेरिका और यूरोपीय शहरों की स्थिति देखिए और वहां के लोगों की निराशा को देखिए। फिर भारत से तुलना कीजिए। जब आप गंदगी देखते हैं, तो पहले अपने दिमाग को देखिए।”
शांडिल्या की आलोचना-
इस बहस ने सोशल मीडिया यूजर्स को दो खेमों में बांट दिया। कुछ लोगों ने शांडिल्या की आलोचना को सही ठहराया, जबकि अन्य ने वर्थ के पक्ष में खड़े होकर भारत की प्रतिरक्षा की। एक यूजर ने टिप्पणी की, “वह एक श्रेष्ठतावादी हैं जो सोचते हैं कि उनका हर शब्द सत्य है, और खुद को मसीहा के रूप में पेश करके, वह कम गंदे लोगों से श्रेष्ठ बन जाएंगे।”
रचनात्मक आलोचना-
हालांकि, कुछ लोगों ने रचनात्मक आलोचना के महत्व पर भी जोर दिया। एक यूजर ने लिखा, “मैं भारत से प्यार करता हूं, लेकिन अमित सही हैं। हमें अपनी सोच बदलनी होगी और बाहरी वातावरण को वैसे ही साफ रखना होगा जैसे हम अपने घरों को रखते हैं।” एक अन्य यूजर ने तर्क दिया, “भारत गंदा नहीं है। अधिकांश भारतीय गंदे हैं। मैं पहले जनसंख्या को दोष देता था, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ है कि वास्तविक समस्या हमारी मानसिकता है।”
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बड़े सामाजिक संवाद का हिस्सा-
स्वच्छता के मुद्दे पर यह बहस एक बड़े सामाजिक संवाद का हिस्सा बन गई है। कई लोगों का मानना है कि स्वच्छ भारत अभियान जैसे सरकारी प्रयासों के बावजूद, नागरिक जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता है। यह विवाद स्वच्छता के प्रति हमारी सामूहिक जिम्मेदारी और राष्ट्रीय छवि के बीच संतुलन की जटिल चुनौती को रेखांकित करता है।
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