Asteroid Threat: आज से आठ साल बाद धरती एक बड़े खतरे का सामना कर सकती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक ऐसी चेतावनी जारी की है, जो किसी साइंस फिक्शन फिल्म की कहानी जैसी लगती है, लेकिन यह एक वास्तविक खतरा है। नासा के वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि एक विशाल क्षुद्रग्रह ‘2024 YR4’ के पृथ्वी से टकराने की संभावना बढ़कर 2.3 प्रतिशत हो गई है।
Asteroid Threat वैज्ञानिकों की चिंता-
नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) के अनुसार, यह क्षुद्रग्रह 2 दिसंबर, 2032 को पृथ्वी के सबसे नजदीक से गुजरेगा। आंकड़ों के मुताबिक, इसके धरती से टकराने की संभावना 43 में से 1 है। पिछले सप्ताह तक यह आंकड़ा केवल 1.3 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 2.3 प्रतिशत हो गया है।
Asteroid Threat स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी जितना विशाल क्षुद्रग्रह-
चिली स्थित नासा के एस्टेरॉइड टेरेस्ट्रियल-इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम स्टेशन के खगोलविदों ने दिसंबर 2023 के अंत में इस क्षुद्रग्रह को पहली बार देखा था। इसका व्यास लगभग 90 मीटर (300 फीट) है, जो न्यूयॉर्क की प्रसिद्ध स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के बराबर है। इतने बड़े आकार का क्षुद्रग्रह धरती से टकराता है, तो यह एक शहर को पूरी तरह तबाह कर सकता है।
Asteroid Threat टोरिनो स्केल पर खतरे का स्तर-
इस क्षुद्रग्रह को टोरिनो इम्पैक्ट हज़ार्ड स्केल पर तीन का स्कोर दिया गया है। यह पैमाना एक से दस तक के खतरे को मापता है। इससे पहले केवल एक ही क्षुद्रग्रह ‘99942 एपोफिस’ को इससे ज्यादा यानी चार का स्कोर मिला था, जिसे ‘डूम्सडे एस्टेरॉइड’ का नाम दिया गया था। हालांकि, बाद में वैज्ञानिकों ने पाया कि वह धरती से टकराएगा नहीं।
वैज्ञानिकों की राय और भविष्य की योजना-
किंग्स कॉलेज लंदन के डॉ. श्याम बालाजी का कहना है कि जैसे-जैसे और अधिक आंकड़े एकत्र किए जाएंगे, टकराव की संभावना कम होने की उम्मीद है। नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के खगोलविद 2024 YR4 के मार्ग को लगातार ट्रैक कर रहे हैं।
चुनौतियां और समाधान-
वर्तमान में क्षुद्रग्रह धरती से 27 मिलियन मील (43 मिलियन किलोमीटर) दूर है और 29,000 मील प्रति घंटे (46,800 किमी प्रति घंटे) की गति से दूर जा रहा है। अप्रैल 2025 के बाद यह क्षुद्रग्रह धरती से दिखाई नहीं देगा और फिर 2028 तक नजर नहीं आएगा। इसलिए वैज्ञानिकों के पास इसकी सटीक गति को मापने का समय सीमित है।
सुरक्षा उपाय और भविष्य की रणनीति-
यदि क्षुद्रग्रह के मार्ग को बदलने की आवश्यकता पड़ी, तो वैज्ञानिक ‘काइनेटिक इम्पैक्टर’ तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। इस तकनीक में एक सैटेलाइट को क्षुद्रग्रह से टकराकर उसका मार्ग बदला जाता है। 2022 में नासा के DART मिशन ने सिद्ध कर दिया है कि यह संभव है। हालांकि, यदि समय कम हो, तो न्यूक्लियर डिफ्लेक्शन आखिरी विकल्प हो सकता है।
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इस तरह के खतरों की पहचान में सुधार-
वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे-जैसे क्षुद्रग्रह का पता लगाने की तकनीक बेहतर होती जा रही है, ऐसे और भी क्षुद्रग्रहों का पता चलेगा जिनमें टकराव की मामूली संभावना हो सकती है। हालांकि, अधिकांश मामलों में, ये खतरे वास्तविक नहीं होते। फिर भी, वैज्ञानिक इस खतरे को गंभीरता से ले रहे हैं और लगातार निगरानी कर रहे हैं।
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