Income Tax Bill 2025: आज लोकसभा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नया आयकर विधेयक 2025 पेश किया। यह विधेयक भारत के कर कानूनों में प्रयुक्त जटिल शब्दावली को सरल बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिसका उद्देश्य आम करदाताओं के लिए टैक्स भुगतान और रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया को सुगम बनाना है।
Income Tax Bill 2025 विपक्ष का विरोध और सदन से वॉकआउट-
विधेयक की प्रस्तुति के दौरान सदन में हंगामे की स्थिति बन गई, जिसके चलते कई विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। हालांकि, वॉकआउट करने वाले सांसदों की सटीक संख्या स्पष्ट नहीं है। केरल के कोल्लम से विपक्षी सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने जब 1961 के पुराने आयकर अधिनियम की तुलना में नए विधेयक में धाराओं की अधिक संख्या का मुद्दा उठाया, तो वित्त मंत्री ने उनकी आपत्ति का ठोस जवाब दिया।
Income Tax Bill 2025 पुराने और नए कानून का तुलनात्मक विश्लेषण-
सीतारमण ने स्पष्ट किया कि 1961 में जब आयकर अधिनियम लागू हुआ था, तब इसमें केवल 298 धाराएं थीं। समय के साथ कई नई धाराएं जोड़ी गईं, जिससे वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर 819 हो गई है। नए विधेयक में इन धाराओं की संख्या घटाकर 536 कर दी गई है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि 1961 के अधिनियम में अब तक लगभग 4,000 संशोधन किए जा चुके हैं, जिन पर अब पुनर्विचार किया जा रहा है।
सरलीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम-
तृणमूल कांग्रेस के सांसद प्रोफेसर सौगत राय ने नए कर विधेयक में किए गए बदलावों को “यांत्रिक” बताया। इस आरोप का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ये बदलाव महज यांत्रिक नहीं हैं, बल्कि ठोस परिवर्तन हैं। नए विधेयक में शब्दों की संख्या आधी कर दी गई है, और धाराओं तथा अध्यायों की संख्या भी कम की गई है। विशेष रूप से, विधेयक को सरल अंग्रेजी और हिंदी में प्रस्तुत किया गया है, जिससे आम लोगों को इसे समझने में आसानी होगी।
वित्त मंत्री ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए सुझाव दिया कि नए आयकर विधेयक 2025 को एक नवगठित चयन समिति को भेजा जाए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस समिति से संबंधित नियम और शर्तें तय करेंगे। समिति को अगले सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
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नया आयकर विधेयक-
नया आयकर विधेयक 2025 भारत के कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रतीक है। यह न केवल प्रशासनिक बोझ को कम करेगा, बल्कि करदाताओं के लिए कर भुगतान और अनुपालन को भी सरल बनाएगा। हालांकि विपक्ष के कुछ सदस्यों ने इस पर आपत्तियां उठाई हैं, सरकार का मानना है कि यह बदलाव देश की अर्थव्यवस्था और कर प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चयन समिति की रिपोर्ट के बाद ही विधेयक के भविष्य का निर्धारण होगा, जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
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