महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर चल रहा बवाल अब एक नए मोड़ पर आ गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के चीफ राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से मराठी भाषा को अनिवार्य करने की मांग वाला आंदोलन रोकने को कहा है। लेकिन इस बीच एक वायरल वीडियो ने सबका ध्यान खींचा है, जिसमें एक MNS कार्यकर्ता को गलती मानते हुए हिंदी में “मुझे माफ करो” कहना पड़ा। आइए, इस खबर को आसान और दिलचस्प अंदाज में समझते हैं।
वायरल वीडियो: मराठी बोलने की जिद और हिंदी में माफी-
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें एक शख्स, जो कथित तौर पर MNS का कार्यकर्ता है, एक मुस्लिम बहुल इलाके में पहुंचा और वहां के लोगों से मराठी में बात करने की जिद करने लगा। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब स्थानीय लोगों ने उसे घेर लिया और उल्टा उसे हिंदी में माफी मांगने पर मजबूर कर दिया। वीडियो में वो शख्स न सिर्फ “मुझे माफ करो” कहता दिखा, बल्कि ये भी समझाता नजर आया कि वो हिंदी में क्यों माफी मांग रहा है।
ये वीडियो देखते ही देखते X पर ट्रेंड करने लगा। लोगों ने इसे “प्योर कर्मा” करार दिया और MNS की इस हरकत पर जमकर तंज कसे। एक यूजर ने लिखा, “मराठी बोलने की धमकी देने गए थे, लेकिन हिंदी में सॉरी बोलकर आए। ये है असली कर्मा। MNS हमेशा गरीब और कमजोर लोगों को ही टारगेट करता है।”
सोशल मीडिया पर हंगामा: “बुली को सबक”-
X पर इस वीडियो को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, “MNS का कार्यकर्ता मुस्लिम इलाके में गया और लोगों को मराठी बोलने के लिए कहा। लेकिन वहां के लोगों ने उसे घेर लिया और हिंदी में माफी मंगवाई। MNS की ताकत बस गरीब हिंदुओं को डराने तक सीमित है। इन बुली को सबक सिखाओ, ये भाग खड़े होंगे।”
दूसरे यूजर ने तंज कसते हुए कहा, “अब राज ठाकरे अकेले उस इलाके में जाएं और अपनी ताकत दिखाएं, अगर उनमें जरा भी शर्म बची हो। आ गया स्वाद मराठी मानुष???” एक और यूजर ने इसे कर्नाटक के कन्नड़ भाषा विवाद से जोड़ा और कहा, “ये मुझे बैंगलोर के कुछ कन्नड़ एक्टिविस्ट्स की याद दिलाता है।”
कई लोगों ने MNS पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी ताकत बस औरतों और कमजोर लोगों को डराने तक सीमित है। एक यूजर ने लिखा, “ये लोग बस चिल्ला सकते हैं और उन महिलाओं को परेशान कर सकते हैं जो मराठी नहीं बोलतीं।”
राज ठाकरे का यू-टर्न: आंदोलन पर ब्रेक-
इस पूरे ड्रामे के बीच MNS चीफ राज ठाकरे ने शनिवार को अपने कार्यकर्ताओं को आंदोलन रोकने का आदेश दिया। एक ऑफिशियल स्टेटमेंट में ठाकरे ने कहा, “हमने मराठी भाषा के मुद्दे पर काफी जागरूकता फैलाई है। अब इसे रोकने का वक्त है। ये मराठी समुदाय पर निर्भर है कि वो अपने हक के लिए आगे आएं। अगर हमारा समाज ही नहीं जागेगा, तो इन आंदोलनों का क्या फायदा?”
उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार मराठी भाषा को लेकर बने कानूनों का पालन करेगी। ठाकरे ने कार्यकर्ताओं से कहा कि भले ही आंदोलन रुक जाए, लेकिन इस मुद्दे पर फोकस बनाए रखें।
लोगों का गुस्सा: “कमजोरों को टारगेट क्यों?”
MNS का ये आंदोलन पहले से ही विवादों में था। कई लोग मानते हैं कि पार्टी गरीब और कमजोर लोगों को निशाना बनाती है, जो अपना बचाव नहीं कर सकते। वायरल वीडियो के बाद ये सवाल और तेज हो गया कि आखिर MNS की ताकत कितनी असली है। एक यूजर ने लिखा, “ये लोग बस डेमोग्राफी बदलने की बात करते हैं, लेकिन असल में कुछ कर नहीं सकते।”
दूसरी ओर, कुछ लोगों ने इसे मराठी अस्मिता से जोड़ा और कहा कि भाषा का सम्मान जरूरी है, लेकिन जबरदस्ती से कुछ हासिल नहीं होगा। एक शख्स ने कहा, “मराठी हमारी पहचान है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम दूसरों को दबाएं।”
जानें क्या है पूरा मसला?
महाराष्ट्र में लंबे वक्त से मराठी भाषा को बढ़ावा देने की मांग चल रही है। MNS ने बैंकों, दुकानों और दूसरी जगहों पर मराठी को अनिवार्य करने के लिए आंदोलन शुरू किया था। लेकिन इस दौरान कई बार उनके कार्यकर्ताओं पर जबरदस्ती और गुंडागर्दी के आरोप लगे। वायरल वीडियो ने इन आरोपों को और हवा दी।
अब सवाल ये है कि क्या राज ठाकरे का आंदोलन रोकने का फैसला इस घटना से प्रेरित है? या फिर पार्टी अपनी रणनीति बदल रही है? जानकार मानते हैं कि MNS की संगठनात्मक ताकत पहले जितनी नहीं रही, और ऐसे वाकये उनकी इमेज को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।