शादी का मौका, ढोल-नगाड़ों की आवाज़, हंसी-मज़ाक और रस्मों का दौर- ये सब हर भारतीय शादी का हिस्सा होता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक शादी ऐसी हुई, जहां मज़ाक-मज़ाक में बात इतनी बढ़ गई कि दूल्हे को कमरे में बंद करके लाठियों से पीट दिया गया। सुनने में अजीब लगता है ना? लेकिन ये सच है। ये पूरा मामला शुरू हुआ एक प्यारी सी रस्म ‘जूता चुराई’ से, जो आमतौर पर हंसी-खुशी में खत्म हो जाती है। लेकिन इस बार ये रस्म दो परिवारों के बीच जंग का कारण बन गई।
उत्तराखंड से यूपी के बिजनौर आई थी बारात-
शनिवार को उत्तराखंड के चकराता से मुहम्मद शब्बीर अपनी बारात लेकर बिजनौर पहुंचे। शादी की रस्में चल रही थीं, मेहमानों का स्वागत हो रहा था, और माहौल खुशनुमा था। लेकिन तभी दुल्हन की भाभी ने शब्बीर के जूते चुरा लिए। ये तो हर शादी में होता है, है ना? जूता चुराई की रस्म में दूल्हे से पैसे मांगना और थोड़ा मज़ाक करना आम बात है। लेकिन इस बार मांग कुछ ज़्यादा ही बड़ी थी – पूरे 50,000 रुपये!
5,000 रुपये और ‘भिखारी’ वाले ताने से शुरु हुआ झगड़ा-
शब्बीर ने सोचा कि वो इस रस्म को थोड़े हल्के ढंग से निपटा लेंगे। जेब से 5,000 रुपये निकाले और भाभी को दे दिए। लेकिन ये रकम सुनते ही दुल्हन के परिवार की कुछ महिलाओं का पारा चढ़ गया। उन्होंने शब्बीर को ‘भिखारी’ कहकर ताने मारने शुरू कर दिए। अब भला कोई अपनी शादी के दिन ऐसा ताना कैसे बर्दाश्त करेगा? शब्बीर के परिवार को भी ये बात चुभ गई। बस फिर क्या था, ताने-तानों से शुरू हुआ झगड़ा देखते ही देखते हाथापाई में बदल गया।
दोनों पक्ष के झगड़े को लेकर अलग-अलग बयान-
शब्बीर के परिवार का कहना है कि दुल्हन के घरवालों ने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया और लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। दूसरी तरफ, दुल्हन का परिवार कुछ और ही कहानी बता रहा है। उनका कहना है कि झगड़ा तब शुरू हुआ जब शब्बीर के घरवालों ने दहेज में मिले सोने की क्वालिटी पर सवाल उठाए। अब सच क्या है, ये तो दोनों परिवार ही जानें, लेकिन जो हुआ वो किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था।
पुलिस ने संभाला मोर्चा, फिर हुआ ये-
जैसे ही बात बिगड़ती दिखी, किसी ने समझदारी दिखाते हुए पुलिस को बुला लिया। बिजनौर की नजीबाबाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को शांत करने की कोशिश की। हालात को देखते हुए पुलिस दोनों परिवारों को थाने ले गई। वहां शब्बीर और दुल्हन के घरवालों ने अपनी-अपनी कहानी सुनाई। पुलिस ने दोनों पक्षों की बात सुनी और समझौते का रास्ता निकाला। नजीबाबाद के एरिया ऑफिसर ने बताया, “ये जूता चुराई रस्म को लेकर हुआ झगड़ा था। दोनों परिवार थाने आए, अपनी बात रखी और अब सुलह हो गई है।”
शादी जैसे खूबसूरत मौके पर ऐसा तमाशा होना वाकई दुखद है। लेकिन अच्छी बात ये रही कि पुलिस की मदद से मामला सुलझ गया और शादी भी पूरी हो गई।
रस्मों का मज़ा या झगड़े की जड़?
जूता चुराई की रस्म तो हर शादी में होती है। बहनें, भाभियां, दोस्त – सब मिलकर दूल्हे से थोड़ा मज़ाक करते हैं, थोड़े पैसे मांगते हैं, और फिर हंसी-खुशी जूते वापस दे देते हैं। लेकिन इस बार ये रस्म एक टेस्ट ऑफ पावर बन गई। 50,000 रुपये की मांग और 5,000 रुपये देने की बात ने दोनों परिवारों के बीच ईगो की लड़ाई शुरू कर दी। सवाल ये है कि क्या सचमुच ये रस्म इतनी सीरियस होनी चाहिए थी? या फिर ये बस एक बहाना था पुरानी रंजिश निकालने का?
हमारे समाज में शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों का जुड़ाव होती है। लेकिन कई बार छोटी-छोटी बातें इतनी बड़ी हो जाती हैं कि रिश्तों में दरार पड़ जाती है। इस घटना से हमें ये सीख मिलती है कि रस्मों को मज़े के लिए रखें, उन्हें लड़ाई का कारण न बनाएं।
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इंसानियत से बड़ा कुछ नहीं-
शब्बीर की शादी का दिन जो खुशियों से शुरू हुआ, वो कुछ देर के लिए तनाव और मारपीट में बदल गया। लेकिन अंत भला तो सब भला। दोनों परिवारों ने समझदारी दिखाई और पुलिस की मदद से सुलह कर ली। ये घटना हमें याद दिलाती है कि गुस्से और लड़ाई से कुछ हासिल नहीं होता। अगर थोड़ा धैर्य और समझदारी दिखाई जाए तो हर झगड़ा सुलझ सकता है।
तो अगली बार जब आप किसी शादी में जूता चुराने जाएं, तो थोड़ा हल्का मज़ाक करें, ज्यादा डिमांड न करें, और सबसे ज़रूरी – प्यार और हंसी को बरकरार रखें। आखिर शादी का मतलब खुशियां बांटना है, न कि लाठियां