शनिवार की सुबह, जब लोग अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे, अचानक डिजिटल पेमेंट का सबसे बड़ा सहारा Unified Payments Interface (UPI) ठप हो गया। Paytm, PhonePe, Google Pay जैसी पॉपुलर ऐप्स ने काम करना बंद कर दिया। चाहे किराने की दुकान पर पेमेंट करना हो या दोस्त को पैसे ट्रांसफर करने हों, हर जगह यूजर्स को मायूसी हाथ लगी। DownDetector के मुताबिक, दोपहर तक 1,168 शिकायतें दर्ज हो चुकी थीं, जिनमें Google Pay के 96 और Paytm के 23 यूजर्स शामिल थे।
NPCI ने X पर एक पोस्ट में कहा, “हमें कुछ तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते UPI ट्रांजैक्शंस में आंशिक रुकावट आ रही है। हम इसे ठीक करने में जुटे हैं और जल्द अपडेट देंगे। असुविधा के लिए खेद है।” लेकिन सवाल ये है कि आखिर ये बार-बार की दिक्कतें क्यों?

बैंकों पर भी पड़ा असर-
ये आउटेज सिर्फ पेमेंट ऐप्स तक सीमित नहीं रहा। HDFC Bank, State Bank of India, और Kotak Mahindra Bank जैसे बड़े बैंकों के यूजर्स भी इससे प्रभावित हुए। दिल्ली की एक गृहिणी राधिका शर्मा ने बताया, “मैंने सुबह मार्केट में सब्जी खरीदने की कोशिश की, लेकिन PhonePe ने काम नहीं किया। कैश साथ नहीं था, तो काफी देर दुकानदार को समझाना पड़ा।” वहीं, मुंबई के एक छोटे बिजनेसमैन अजय वर्मा ने शिकायत की, “मेरे क्लाइंट का पेमेंट अटक गया, जिससे मेरा पूरा दिन का शेड्यूल बिगड़ गया।”
UPI आज भारत में डिजिटल पेमेंट्स का रीढ़ बन चुका है। किराने की दुकानों से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक, हर छोटा-बड़ा ट्रांजैक्शन इसके भरोसे होता है। ऐसे में, जब ये सिस्टम डाउन होता है, तो आम आदमी से लेकर व्यापारी तक, सभी की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी दिक्कतें-
ये कोई पहली बार नहीं है जब UPI ने यूजर्स को परेशान किया हो। हाल ही में 26 मार्च को भी UPI सर्विसेज करीब तीन घंटे तक ठप रही थीं। इसके अलावा, 31 मार्च और 2 अप्रैल को भी यूजर्स को पेमेंट प्रोसेसिंग में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। NPCI ने उस वक्त “इंटरमिटेंट टेक्निकल इश्यूज” और “फाइनेंशियल ईयर-एंड रश” को जिम्मेदार ठहराया था। लेकिन बार-बार एक ही जवाब से यूजर्स का गुस्सा बढ़ रहा है।
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने अपनी भड़ास निकाली। एक यूजर ने लिखा, “UPI डाउन होने की वजह से मैं एयरपोर्ट पर फंस गया। कैशलेस इकॉनमी का ये हाल है!” एक और यूजर ने मजाक में कहा, “लगता है NPCI को भी वीकेंड चाहिए।”

आखिर क्यों हो रहे हैं ये आउटेज?
UPI के बार-बार डाउन होने के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सिस्टम पर बढ़ता लोड एक बड़ी वजह है। फाइनेंस मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2025 में UPI ने 16.99 बिलियन ट्रांजैक्शंस प्रोसेस किए, जिनका कुल मूल्य 23.48 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा था। इतने बड़े पैमाने पर ट्रांजैक्शंस को हैंडल करने के लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए, जो शायद अभी अपग्रेड की जरूरत में है।
इसके अलावा, कुछ तकनीकी खामियां भी जिम्मेदार हो सकती हैं। Business Standard की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के आउटेज में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISPs) की नेटवर्क दिक्कतें, हार्डवेयर फेल्योर, और बैंकों के ट्रांजैक्शन प्रोसेसिंग सिस्टम का ओवरलोड होना शामिल था। साइबर सिक्योरिटी भी एक चिंता का विषय है, क्योंकि बढ़ते डिजिटल फ्रॉड्स के बीच सिस्टम को और सुरक्षित करने की जरूरत है।
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Angel One की एक स्टडी में कहा गया कि बैंकों के सिस्टम में हार्डवेयर इश्यूज या नेटवर्क बॉटलनेक्स भी UPI ट्रांजैक्शंस को प्रभावित कर सकते हैं। अगर किसी एक बैंक का सिस्टम डाउन होता है, तो वो पूरे UPI नेटवर्क पर असर डालता है।
NPCI के नए नियम और चुनौतियां-
8 अप्रैल को NPCI ने UPI के जरिए इंटरनेशनल ट्रांजैक्शंस के लिए नए नियमों की घोषणा की थी। इसमें QR कोड्स के इस्तेमाल पर कुछ पाबंदियां लगाई गईं ताकि पेयर की पहचान सही हो। ये बदलाव सिक्योरिटी को बढ़ाने के लिए हैं, लेकिन इनसे सिस्टम की जटिलता भी बढ़ रही है। हालांकि, घरेलू ट्रांजैक्शंस की लिमिट पर कोई बदलाव नहीं किया गया है।
लेकिन इन नए नियमों के बीच बार-बार आउटेज ने सवाल उठाए हैं कि क्या NPCI सिस्टम को अपग्रेड करने में पीछे रह गया है? डिजिटल पेमेंट्स की दुनिया में भारत ने UPI के जरिए दुनिया को अपनी ताकत दिखाई है, लेकिन अगर ऐसे आउटेज बार-बार होते रहे, तो यूजर्स का भरोसा डगमगा सकता है।