14 मई 2025 को कतर के दोहा में एक शानदार डिनर हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की। यह मुलाकात लुसैल पैलेस में हुई, जहां माहौल में अगरबत्ती की खुशबू थी। ड्रम्स और गायन ने मेहमानों का स्वागत किया। लेकिन, सवाल ये है कि क्या अंबानी को पीएम मोदी ने भेजा था? सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात बिजनेस डील्स से ज्यादा डिप्लोमैटिक थी। फिर भी, रिलायंस के लिए ये मौका खास था।
मुकेश अंबानी और डोनाल्ड ट्रंप मुलाकात में मोदी की भूमिका
मुकेश अंबानी की ये दूसरी मुलाकात थी ट्रंप से, जनवरी 2025 के बाद। रिलायंस ने कतर इनवेस्टमेंट अथॉरिटी से करीब 1 बिलियन डॉलर का निवेश लिया है। इसके अलावा, गूगल और मेटा जैसी अमेरिकी कंपनियों के साथ भी अंबानी के रिश्ते गहरे हैं। यह मुलाकात भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को मजबूत कर सकती है। लेकिन, कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या ये मुलाकात भारत-पाक तनाव से जुड़ी थी? ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने व्यापार रोकने की धमकी देकर युद्ध रुकवाया।
इस मुलाकात में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्या भूमिका है क्या उन्होंने ही अपने करीबी बिजनसमैन को ट्रंप को मनाने के लिए उनके पास भेजा है। क्या ये भारत की कोई कूटनीतिक चाल है? इन सवालों का कोई अधिकारिक जवाब नहीं मिल सकता है। क्योंकि कूटनीति में अधिकतर चीजें छुपी ही होती हैं लेकिन आप समझ लें कि भारत का कोई बड़ा बिजनेसमैन जो गुजरात से भी है जहां से पीएम आते हैं और वो अमेरिका के राष्ट्रपति से ऐसे वक्त में मिल रहा है जब भारत-अमेरिकी रिश्तों में थोड़ा तनाव है तो इसमें भारत की एक कूटनीति अपने आप जुड़ जाती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर सीजफायर ट्रेड की धमकी से हुआ तो रिश्तों में सुधार भी ट्रेड के जरिए ही होगा।
भारत-पाक युद्ध और अमेरिका की भूमिका
ट्रंप ने कतर में कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम किया। हालांकि, उनकी ये बात भारत में नाराजगी का कारण बनी। कई लोगों का मानना है कि ट्रंप भारत के आंतरिक मामलों में दखल दे रहे हैं। X पर यूजर्स ने लिखा, “ट्रंप का दावा व्यापारिक दबाव का हिस्सा है।” क्या अंबानी की मुलाकात इस तनाव को कम करने की कोशिश थी? विशेषज्ञों का कहना है कि रिलायंस का तेल और रिटेल बिजनेस अमेरिकी नीतियों पर निर्भर है।
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एप्पल प्लांट विवाद और भारत-अमेरिका रिश्ते
ट्रंप ने हाल ही में एप्पल के सीईओ टिम कुक को भारत में प्लांट लगाने से रोका। उनका कहना है कि अमेरिकी कंपनियां अमेरिका में ही निवेश करें। इससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को झटका लग सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर एप्पल जैसे ब्रांड भारत में निवेश नहीं करेंगे, तो भारत-अमेरिका रिश्तों पर असर पड़ेगा। रिलायंस जैसे बड़े खिलाड़ी इस स्थिति को संतुलित करने की कोशिश कर सकते हैं। फिर भी, व्यापार और निवेश पर अनिश्चितता बनी रहेगी। [Read more on Apple’s plans]
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क्या है दोनों देशों की भविष्य की राह?
मुकेश अंबानी की डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या ये भारत के लिए नई संभावनाएं लाएगी? या फिर अमेरिकी नीतियां भारत के लिए चुनौती बनेंगी? रिलायंस का ग्लोबल प्रभाव बढ़ रहा है, लेकिन ट्रंप की नीतियां व्यापार को प्रभावित कर सकती हैं। भारत को डिप्लोमैसी और बिजनेस में सावधानी बरतनी होगी।