अमेरिकी अपीलीय अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “लिबरेशन डे” टैरिफ्स को अस्थायी रूप से बहाल कर दिया है, जो पहले अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय द्वारा अवैध घोषित किए गए थे। यह निर्णय ट्रंप प्रशासन को इन टैरिफ्स को लागू रखने की अनुमति देता है, जबकि मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
ट्रम्प ने सीमाओं से परे जाकर लगाए टैरिफ
28 मई को, यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने फैसला सुनाया कि ट्रंप ने 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत अपनी सीमाओं से परे जाकर टैरिफ लगाए, जो कानूनन अस्वीकार्य है। इस निर्णय के बाद, ट्रंप प्रशासन ने अपील दायर की, जिसके परिणामस्वरूप अपीलीय अदालत ने निचली अदालत के फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी।
12 अमेरिकी राज्यों ने दी टैरिफ को चुनौती
इन टैरिफ्स के तहत, चीन, मैक्सिको और कनाडा सहित कई देशों से आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाया गया, जिससे वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में वृद्धि हुई। छोटे व्यवसायों और 12 अमेरिकी राज्यों ने इन टैरिफ्स को चुनौती दी, यह दावा करते हुए कि ट्रंप ने कांग्रेस की अनुमति के बिना कार्यकारी शक्तियों का दुरुपयोग किया।
सुप्रीम कोर्ट में होगा फैसला
हालांकि अपीलीय अदालत का यह निर्णय केवल अस्थायी है, लेकिन यह ट्रंप प्रशासन को अपनी व्यापार नीतियों को बनाए रखने का अवसर देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अंततः सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है, जहां यह तय होगा कि राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियों के तहत टैरिफ लगाने का अधिकार है या नहीं।
इस कानूनी लड़ाई के बीच, वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है, और व्यापारिक साझेदार अमेरिका की व्यापार नीतियों पर नजर बनाए हुए हैं। ट्रंप के समर्थकों का कहना है कि यह टैरिफ्स अमेरिका की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए आवश्यक हैं, जबकि आलोचक इसे कार्यकारी शक्ति का अतिरेक मानते हैं।
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