सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाई कोर्ट से झटका लगा है। मंगलवार, 3 जून को कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि भारत में भले ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो, लेकिन यह बिना सीमा की आज़ादी नहीं है, और इसका उपयोग किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं किया जा सकता।
क्या है मामला?
शर्मिष्ठा पनोली पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसा वीडियो पोस्ट किया, जिसमें धार्मिक पहचान के आधार पर कुछ लोगों को टारगेट किया गया। इस वीडियो के सामने आने के बाद मामला तूल पकड़ गया। उन्होंने माफी मांगते हुए वीडियो डिलीट कर दिया, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई जारी रखी और 30 मई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा:
“फ्रीडम ऑफ स्पीच का मतलब यह नहीं है कि आप दूसरों की भावनाएं आहत करें। हमारा देश विविधता से भरा है, ऐसे में बयान देते वक्त संयम ज़रूरी है।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कोलकाता में दर्ज FIR को मुख्य मामला माना जाएगा और इसी पर कार्यवाही जारी रहेगी। इसके अलावा अन्य राज्यों में पनोली के खिलाफ दर्ज किसी भी नई FIR पर रोक लगा दी गई है।
पुलिस और वकील की दलीलें
पनोली के वकील ने कहा कि गिरफ्तारी बिना नोटिस के की गई, जो कि अवैध है।
पुलिस ने जवाब दिया कि नोटिस तैयार किया गया था, लेकिन पनोली का परिवार गुरुग्राम भाग गया, इसलिए नोटिस उन तक नहीं पहुंचाया जा सका।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में कोई नई FIR न दर्ज हो। अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 जून को होगी।
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