महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में स्थित भामरागढ़ रिजर्व फॉरेस्ट अब तेजी से औद्योगिक गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। Lloyds Metals & Energy Ltd. को यहां 900 हेक्टेयर जंगल में लौह अयस्क शोधन प्लांट लगाने और 1 लाख से ज्यादा पेड़ काटने की इजाजत मिल चुकी है। इसके साथ ही सूरजगढ़ खदान में अयस्क उत्पादन को 10 मिलियन टन से बढ़ाकर 26 मिलियन टन सालाना करने की भी सिफारिश की गई है।
क्यों चर्चा में है यह खनन प्रोजेक्ट?
- यह खदान महाराष्ट्र के संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित है।
- खनन क्षेत्र 348 हेक्टेयर में फैला है, और इसे 2007 में 50 साल की लीज पर दिया गया था, यानी अब यह 2057 तक वैध है।
- डिसंबर 2016 में माओवादी हमले में 69 ट्रक और 3 मशीनें जला दी गई थीं, इसके अलावा कंपनी के अधिकारी जसपाल सिंह ढिल्लन की हत्या भी कर दी गई थी।
पर्यावरणीय चिंता: जंगल और जीवों पर खतरा
- भामरागढ़ रिजर्व फॉरेस्ट एक बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट है, जहां जानवर बिना किसी अवरोध के जंगलों में विचरण करते हैं।
- 1 लाख पेड़ों की कटाई और औद्योगिक गतिविधियों से वन्यजीवों के रहवास पर असर होगा।
- क्षेत्र में जलवायु संतुलन और स्थानीय आदिवासी आजीविका पर भी खतरा मंडरा रहा है।
सरकार और उद्योगों की माओवाद से निपटने की रणनीति
- केंद्र और राज्य सरकार गढ़चिरोली में औद्योगीकरण और विकास को माओवाद के खिलाफ रणनीति के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
- C-60 कमांडो और केंद्रीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई से माओवादी गतिविधियों में कमी आई है।
- गृह मंत्री अमित शाह का लक्ष्य है कि 2026 तक नक्सलवाद खत्म किया जाए।
हाल की घटनाएं और आत्मसमर्पण
- 21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में 27 माओवादी मारे गए, जिनमें टॉप लीडर बसवराज भी शामिल था।
- 6 जून को गढ़चिरोली में 12 वरिष्ठ माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जिससे माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है।
- अबूझमाड़ जैसे नक्सल ठिकानों पर भी अब फोर्स का दबाव बढ़ता जा रहा है।