राजस्थान के जैसलमेर जिले में थार के तपते रेगिस्तान के बीच स्थित है — लोंगेवाला युद्ध संग्रहालय, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध की एक अमर गाथा को अपने भीतर समेटे हुए है। यह स्थल केवल एक संग्रहालय नहीं, बल्कि देशभक्ति, बलिदान और भारतीय सेना की वीरता का प्रतीक है।
लोंगेवाला की ऐतिहासिक लड़ाई
4 दिसंबर 1971 की रात, पाकिस्तान की सेना ने भारी टैंकों और बख्तरबंद वाहनों के साथ लोंगेवाला चौकी पर हमला किया। भारतीय सेना की मात्र 120 जवानों की टुकड़ी, मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में डटी रही।
इनके पास सीमित संसाधन थे, लेकिन साहस असीमित। रातभर उन्होंने पाकिस्तानी सेना को रोके रखा, और अगले दिन वायुसेना के समर्थन से दुश्मन के दर्जनों टैंक ध्वस्त कर दिए गए।
संग्रहालय में क्या है खास?
लोंगेवाला युद्ध संग्रहालय भारतीय सेना द्वारा संरक्षित है और आम जनता के लिए खुला रहता है। इसमें निम्नलिखित विशेषताएं देखने को मिलती हैं:
- पाकिस्तानी टैंक जो युद्ध में नष्ट किए गए थे।
- युद्ध में प्रयुक्त हथियार, वर्दियाँ और संचार उपकरण।
- वीर सैनिकों के फोटोग्राफ, जीवनी और बहादुरी की कहानियाँ।
- लाइट एंड साउंड शो, जिसमें उस रात की लड़ाई को जीवंत किया गया है।
- भारतीय वायुसेना की भागीदारी को दिखाता एविएशन सेक्शन।
कैसे पहुँचे लोंगेवाला?
- निकटतम शहर: जैसलमेर (लगभग 125 किमी दूर)
- कैसे जाएं: जैसलमेर से टैक्सी या टूर बस द्वारा पहुँचा जा सकता है।
- समय: सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक (मौसम और सेना के आदेशानुसार समय बदल सकता है)
क्यों जाएं लोंगेवाला?
- भारतीय सेना की वीरता और बलिदान को नजदीक से देखने के लिए।
- इतिहास प्रेमियों और छात्रों के लिए अद्भुत सीखने का अवसर।
- एक ऐसी जगह जहाँ देशभक्ति सिर्फ शब्द नहीं, अनुभूति बन जाती है।